चावण्ड को इको ट्यूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाने पर चिन्तन


चावण्ड को इको ट्यूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाने पर चिन्तन

चावण्ड तालाब पर हर वर्ष कई प्रवासी पक्षी आते है। चावण्ड को इको ट्यूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाना चाहिए

 

चावण्ड को इको ट्यूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाने पर चिन्तन

केवल वन विभाग या प्रशासन ही नही वरन् आमजन को भी इस पर गंभीरता से विचार कर अपने आस-पास के तालाबों, झीलों एवं नदियों का संरक्षण करना होगा, नही तो वह दिन दूर नही जब आने वाली पीढ़ी इसे सिर्फ किताबों में ही देख पाएगी। भूमि की आर्द्रता बरकरार रखने में हर जीव की भूमिका है, अतः यह आवश्यक है कि हम सभी हर जीव चाहे वे वन्य जीव हो या प्रवासी पक्षी उन्हें बचाए।

उक्त विचार वर्ल्ड वैट लैंड डे (विश्व नम भूमि दिवस) पर नाबार्ड, गायत्री सेवा संस्थान एवं मांडली जल ग्रहण विकास समिति के संयुक्त तत्वाधान में जिले के सराड़ा पंचायत समिति स्थित चावण्ड तालाब पर आयोजित “नम भूमि एवं जलवायु परिवर्तन” संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए अतिरिक्त मुख्य वन संरक्षक, वन विभाग एस. एल. सैनी ने व्यक्त किए।

कार्यक्रम में गायत्री सेवा संस्थान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी चेतन पाण्डे ने सराडा के विभिन्न ऐतिहासिक स्थानों की जानकारी देते हुए बताया कि चावण्ड तालाब पर हर वर्ष कई प्रवासी पक्षी आते है। चावण्ड को इको ट्यूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाना चाहिए एवं इस दिशा में हमारी संस्थान एवं माण्डली जलग्रहण विकास समिति प्रयास कर रही है।

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कार्यक्रम में पक्षीयों के लिए लम्बे समय से कार्य कर रहे विशेषज्ञ सुनिल दवे एवं देवेन्द्र मिस्त्री ने ग्रामिणों को उनके क्षेत्र में आने वाले प्रवासी पक्षियों की जानकारी देते हुए उनकी महत्ता पर्यावरण एवं हमारे जीवन में क्या है इसे विस्तार से बताया।

कार्यक्रम में माण्डली जल ग्रहण विकास समिति के प्रतिनिधि नन्दलाल मीणा, जल ग्रहण विशेषज्ञ सौरभ सोनी, सुभाष जोशी ने भी विचार प्रकट किए। कार्यक्रम के अन्त में उपस्थित समस्त प्रतिनिधियों, स्थानिय जन प्रतिनिधी एवं ग्रामीणों ने पर्यावरण संरक्षण एवं स्थानीय तालाब के संरक्षण का संकल्प लिया।

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