होश में रहने वाले को क्रोध नहीं आताः आचार्य शिवमुनि


होश में रहने वाले को क्रोध नहीं आताः आचार्य शिवमुनि

पर्यूषण पर्व के सातवें दिन आचार्य शिव मुनि ने श्रावकों से कहा कि होश में रहने वाला व्यक्ति कभी किसी पर क्रोध नहीं करता, कभी किसी का अहित नहीं करता, कभी किसी को अपश्ब्द नहीं कहता। मैं आत्मा हूं बस इतना पोषण करो। माता- पिता अपने बच्चों को बचपन से संस्कार दें। मां के संस्कार ही जीवन भर बच्चों के साथ रहते हैं। मां अगर बच्चों को संस्कार दे तो पिता को उसका पोषण करना चाहिये।

 

होश में रहने वाले को क्रोध नहीं आताः आचार्य शिवमुनि

पर्यूषण पर्व के सातवें दिन आचार्य शिव मुनि ने श्रावकों से कहा कि होश में रहने वाला व्यक्ति कभी किसी पर क्रोध नहीं करता, कभी किसी का अहित नहीं करता, कभी किसी को अपश्ब्द नहीं कहता। मैं आत्मा हूं बस इतना पोषण करो। माता- पिता अपने बच्चों को बचपन से संस्कार दें। मां के संस्कार ही जीवन भर बच्चों के साथ रहते हैं। मां अगर बच्चों को संस्कार दे तो पिता को उसका पोषण करना चाहिये।

वे आज महाप्रज्ञ विहार स्थित शिवाचार्य समवशरण में श्रावकों को संबोधित कर रहे थे। श्रावकों को अतिमुक्त बनने का माध्यम बताते हुए आचार्यश्री ने कहा कि परिवार में दुख ही दुख है, संसार में दुख ही दुख है, लेकिन इससे निकलना कोई नहीं चाहता है। सुख स्वयं के भीतर है, आत्मा में अनन्त सुख है, भीतर डूबो, आत्मसाधना करो अनन्त सुख की प्राप्ति होगी। कभी भी तप, साधना, आराधना और अरिहन्तों पर शंका मत करो। शंका करने वाला डूब जाता हैं। जीवन में सम्मान मिले, मिलना चाहिये लेकिन सम्मान अहंकार का कारक होता है। कभी भी अहंकार को अंगीकार मत करना।

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भगवान महावीर ने परम्पराओं को क्रियाओं को नहीं देखा। वह हमेशा दृष्टा भाव में रहें। उन्होंने अन्धविश्वासों को तोड़ा। धर्म तो जीवन्त होता है। विवेक की साधना करो लेकिन दृष्टा भाव में रहो। मन के साथ मत चलो। मन चंचल होता है। भेद विज्ञान की सधाना करो। देह और आत्मा अलग है। जीव और अजीव के भेद को जानो। शरीर से साधना करो, भीतर तक डूब जाओ। वेदना शरीर को होगी लेकिन आप यह समझो कि मैं शरीर हूं ही नहीं। वेदना होगी और चली जाएगी। लेकिन भीतर तो अनन्त सुख और अनन्त शांति ही मिलेगी।

युवाचार्यश्री महेन्द्रऋषि ने दान, शील, तप और धर्म की महिमा बताते हुए कहा कि इनमें अनन्त शक्ति है। इस जन्म में किये गये तप, साधना और अच्छे कर्म यह जन्म तो सुधारेंगे ही लेकिन अगले जन्म में ही अच्छा फल देंगे। खेत में दोगे दो गुना मिलेगा लेकिन पात्र में दोगे तो दस गुना मिलेगा। उत्कृष्ट दान देना सीखो। दान देना हमारा कर्तव्य है, हमारी आराधना है, दान करना हमारा धर्म है।

धर्मसभा में राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचन्द कटारिया के साथ पूर्व मंत्री एवं वर्तमान में प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष चुन्नीलाल गरासिया भी विशेष रूप से उपस्थित थे। सभा में विभिन्न मंडलों द्वारा भजनों की प्रस्तुतियां दी गई। चातुर्मास संयोजक विरेन्द्र डांगी ने श्रीसंघ की सुचनाओं के साथ अपने विचार रखे।

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