तीन दिवसीय 54 वंा महाराणा कुम्भा संगीत समारोह प्रारम्भ


तीन दिवसीय 54 वंा महाराणा कुम्भा संगीत समारोह प्रारम्भ

प्रख्यात तबला वादक कोलकाता के पं.तन्मोय बोस द्वारा आज मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के विवेकाननद सभागार में महाराणा कुम्भा संगीत परिषद द्वारा आयोजित तीन दिवसीय 54 वां महाराणा कुंम्भा संगीत समारोह में जब तबले पर ताल वाद्य कचेरी की प्रस्तुति दी तो संगीत के सुधि श्रोता उसी में खो गये। समारोह के मुख्य अतिथि मोसुविवि के कुलपति प्रो.आई.वी.त्रिवेदी एंव विशिष्ठ अतिथि रोटरी के पूर्व प्रान्तपाल निर्मल सिंघवी, आर.एस.एम.एम.एल के प्रशासनिक अधिकारी दिनेश कोठारी थे जबकि अध्यक्षता हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड के उपाध्यक्ष सीएसआर मेहता

 

वाद्यों की जुगलबन्दी में खोये श्रोता शास्त्रीय गायिका पद्मभूण डॉ.प्रभा अत्रे निरंजननाथ आचार्य से सम्मानित

तीन दिवसीय 54 वंा महाराणा कुम्भा संगीत समारोह प्रारम्भप्रख्यात तबला वादक कोलकाता के पं.तन्मोय बोस द्वारा आज मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के विवेकाननद सभागार में महाराणा कुम्भा संगीत परिषद द्वारा आयोजित तीन दिवसीय 54 वां महाराणा कुंम्भा संगीत समारोह में जब तबले पर ताल वाद्य कचेरी की प्रस्तुति दी तो संगीत के सुधि श्रोता उसी में खो गये। समारोह के मुख्य अतिथि मोसुविवि के कुलपति प्रो.आई.वी.त्रिवेदी एंव विशिष्ठ अतिथि रोटरी के पूर्व प्रान्तपाल निर्मल सिंघवी, आर.एस.एम.एम.एल के प्रशासनिक अधिकारी दिनेश कोठारी थे जबकि अध्यक्षता हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड के उपाध्यक्ष सीएसआर मेहता ने की।

समारोह में पखावज,तबला,मृदगंम,ख्ंाजीरा के बीच हुए सवाल जवाब का श्रोताओं ने जमकर का आनन्द लिया। पं. बोस ने प्रारम्भ में तबला सोलो के साथ चार ताल की एक सवारी 11 मात्रा की निबध प्रस्तुति दी तो श्रोता मंत्रमुग्ध हो गये। ख्ंाजीरा पर जी.गुरूप्रसन्ना, मृदंगुम पर वी.रमन्नामूर्ति,पखावज पर निशंातसिंह तथा तबला पर पं. तन्मय बोस के बीच चली जुगलबन्दी का श्रोताओं ने जमकर लुत्फ उठाया। पं. बोस पद्मभूषण पं. ज्ञानप्रकाश घोष कम्पोजिशन साढ़ पंाच ताल की प्रस्तुति दी। तबला, सांरगी एंव हारमेानियम की जुगलबन्दी पर श्रोताओं ने तालियों की भरपूर दाद दी। पं. बोस ने अपने गुरू पं.शंकरदास घोष,उस्ताद फिरोज खां, तथा ख्याति प्राप्त पं. रविश्ंाकर की ताल ठेके पर आधारित कम्पोजिशन की भी प्रस्तुति दी। तबले पर तीन ताल द्रुत की प्रस्तुति पर श्रोता उसी में मग्न हो गये। तबले पर चले पं. बोस की अुगंलियों के जादू ने सभी को चकित कर दिया।

इस अवसर पर पं. बोस ने कहा कि देश के महानगरों में युवा पीढ़ी का शास्त्रीय संगीत की ओर उन्मुख होना देश के लिए एक सुखद भविष्य उज्जवल दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि संगीत का कोई अंत नहीं है। इस धरती पर जब तक मानव प्रजाति का वास रहेगा तब तक देश में शास्त्रीय संगीत जीवित रहेगा। उदयपुर शहर बहुत सुन्दर है और परिषद द्वारा प्रतिवर्ष परिषद द्वारा आयोजित किये जाने वाले इस समारोह के जरिये शास्त्रीय संगीत के प्रति जनता के रूझान को बनाए रखने मे महत्वपूर्ण भमिका अदा कर रही है। परिषद देश के लिए शास्त्रीय संगीत में एक रोल मॉडल बन चुकी है। अहमदाबाद आकाशवाणी के सारंगी पर इकराम खान, हारमोनियम पर शिशिर भट्ट ने अपनी प्रस्तुति दे कर सभी को मोहित कर दिया।

तीन दिवसीय 54 वंा महाराणा कुम्भा संगीत समारोह प्रारम्भपरिषद के मानद सचिव डॉ.यशवन्तसिंह कोठारी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि परिषद शास्त्रीय संगीत के प्रचार-प्रसार का जिम्मा उठा रखा है। शहर में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले इस नि:शुल्क समारोह देश के सैकड़ों ख्यातिप्राप्त संगीतज्ञ भाग लेते है। परिषद इस परिषद के विस्तार के प्रति संकल्पित है। समारोह मेें परिषद के सज्जनसिंह राणावत, प्रो. त्रिवेदी, सीएसआर मेहता एंव निर्मल सिंघवी ने भी अपने विचार रखें। इस अवसर पर गज्ल गायक डॉ1 प्रेम भण्डारी ने तन्मोय बोस का स्वागत किया।

समारोह के द्वितीय चरण में पद्मभूषण मुुंबई की शास्त्रीय गायिका डॉ.प्रभा अत्रे द्वारा शास्त्रीय गायन की दी गई प्रस्तुति पर सभी श्रोता उसी में खो गये। वयेावृद्ध शास्त्रीय गायिका डॉ. अत्रे ने कार्यक्रम की शुरूआत राग श्याम कल्याण से की। जिसमें विलंबित एकताल बड़ा ख्याल प्रस्तुत की जिसमें मंगल नाम श्रीगणेश, तीन ताल में छोटा ख्याल गजवंदना है गणराया,तराना एक ताल में प्रस्तुति दी। इसके बाद डॉ. अत्रे ने राग बागेश्री में मध्यताल में रूपक में बन-बन ढूंढत जाऊं तथा तीन ताल में लागे रे लागे उनसे नैना,राग मधुर कौंस में रूपक माल में मध्य लय की प्रस्तुति दी। जिसके तहत ख्याल श्याम मन मोहत तथा एकताल में छोटा ख्याल में पार करो मोरी नय्या की प्रस्तुति दी तो श्रोताओं ने उसे पूरी दाद दी। उप शास्त्रीय प्रसतुति के तहत दादरा में जिसमें बंसती चुनरिया की प्रस्तुति दी। अंत में राग भैरवी लाल दीपचन्यी में आएं नहीं मोरे श्याम की प्रस्तुति दी तो श्रोता मंत्रमुग्ध हो गये।मंच पर उनका साथ चेतना भानावत, विनोद लेले एवं प्रोमीता मुखर्जी ने दिया।

परिषद की ओर से आज मुबंई की प्रख्यात शात्रीय गायक पद्मभूषण डॉ.प्रभा अत्रे को आज अतिथियों सहित विश्वबन्धु आचार्य,दीनबन्धु आचार्य ने पं. निरंजनाथ आचार्य स्मृति पुरूस्कार के तहत स्मृतिचिन्ह एंव प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया।कार्यक्रम का संचालन डॉ.लोकेश जैन एवं उर्वशी सिंघवी ने किया।

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