कृषि विपणन आसूचना पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय खरीफ कार्यशाला प्रारम्भ


कृषि विपणन आसूचना पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय खरीफ कार्यशाला प्रारम्भ

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्यौगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के कृषि अर्थशास्त्र एवं प्रबंधन विभाग के अन्तर्गत संचालित कृषि विपणन आसूचना केन्द्र, एन. ए. आइ. पी. परियोजना, द्वारा अखिल भारतीय केंद्रों की तीन दिवसीय राष्ट्रीय खरीफ कार्यशाला विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशालय में प्रारंभ हुई।

 
कृषि विपणन आसूचना पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय खरीफ कार्यशाला प्रारम्भ

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्यौगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के कृषि अर्थशास्त्र एवं प्रबंधन विभाग के अन्तर्गत संचालित कृषि विपणन आसूचना केन्द्र, एन. ए. आइ. पी. परियोजना, द्वारा अखिल भारतीय केंद्रों की तीन दिवसीय राष्ट्रीय खरीफ कार्यशाला विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशालय में प्रारंभ हुई।

कार्यशाला का उदघाटन करते हुए मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता, कुषि लागत एवं मूल्य आयोग के पूर्व अध्यक्ष एवं विख्यात अर्थशास्त्री, प्रो. एस.एस. आचार्य ने कृषि लागत एवं मूल्यों  की विवेचना करते हुए कृषि विपणन आसूचना परियोजना की आवश्यकता, महत्व एवं निमार्ण पर प्रकाश डाला।

उन्होंने बताया की अनुसंधान आधारित देशव्यापि परियोजना से वृहत स्तर पर किसानों के साथ ही कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि विपणन से जुडी संस्थाओं का संशक्तिकरण एवं लाभ हो रहा है। परियोजना द्वारा व्यक्त की गई फसलों की सम्भावित कीमतों के परिणाम एक दो माह में ही किसानों, व्यापारियों एवं उपभोक्ताओं द्वारा मूल्यांकित कर लिये जाते है।

उन्होंने देश की कृषि एवं आर्थिक नीति निर्धारण में परियोजना की महत्ता जताई। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्यौगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो.ओ.पी.गिल ने बताया कि कृषि फसलों को कब, कहाँ एवं कैसे बेचें। इस प्रकार की पूर्व सूचना हमारे किसान भाइयों के लिए वर्तमान समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कृषि अर्थशास्त्रियों द्वारा विभिन्न फसलों की कीमतों का विश्लेषण कर आगामी कीमत की पूर्वसूचना किसान भाईयों तक पहुंचायी जाती है। इसे विभिन्न संचार माध्यमों द्वारा व्यापक स्तर पर किसान भाइयों तक सही समय पर पहूँचाना नितान्त आवश्यक है।

कार्यक्रम के प्रारंभ में अनुसंधान निदेशालय के निदेशक डा.पी.एल मालीवाल ने आगुन्तक अतिथियों एवं देश के विभिन्न कृषि आसूचना केन्दों से पधारे कृषि अर्थशास्त्रियों एवं कार्यशाला में उपस्थित वैज्ञानिकों का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य कृषि फसलों की कीमतों का पूर्वानुमान लगाना एवं विपणन श्रंखला से जुडे व्यक्तियों को प्रशिक्षित करना है।

इस परियोजना के मुख्य प्रभारी डा.एन. अजान, तमिलनाडू कृषि विश्वविद्यालय, ने परियोजना की विगत पांच वर्षों की प्रगति की समीक्षा की एवं अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर उदयपुर केन्द्र द्वारा चने की फसल पर लिखी गई ‘जिन्स प्रतिवेदन पुस्तिका’ का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम के अन्त में कृषि अर्थशास्त्र एवं प्रबंधन विभाग के विभागाघ्यक्ष डा. एस. एस. बुरडक ने घन्यवाद ज्ञापित किया।

इस कार्यशाला के उद्घाटन में महाविद्यालयों के अधिष्ठता, निदेशक, विभागाघ्यक्ष, विभाग के सदस्य, छात्र एवं छात्राऐं उपस्थित थे।

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