पर्यावरण प्रबन्ध योजना पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित


पर्यावरण प्रबन्ध योजना पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित

खान एवं भू विज्ञान विभाग तथा उदयपुर चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्रीज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुक्रवार को सम्पन्न हुआ।

 

खान एवं भू विज्ञान विभाग तथा उदयपुर चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्रीज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुक्रवार को सम्पन्न हुआ।

समापन सत्र का संचालन करते हुए खान एवं भू विज्ञान विभाग के अधीक्षण अभियन्ता मधूसूदन पालीवाल ने कार्यक्रम के सफलतापूर्वक आयोजन में सहयोग प्रदान करने पर हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड, वॉल्केम इंडिया लिमिटेड, अरावली मिनरल्स एवं वण्डर सीमेंट का खान विभाग द्वारा आभार व्यक्त किया तथा इन उद्योगों के प्रतिनिधियों को यूसीसीआई पूर्वाध्यक्ष बी.एच. बाफना ने स्मृति चिन्ह भेंट किया साथ ही इस कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन में यूसीसीआई के सहयोग एवं योगदान के लिये धन्यवाद ज्ञापित किया।

समापन सत्र के प्रारंभ में विभिन्न उद्योगों तथा खान एवं भू विज्ञान विभाग से आये प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम का प्रबंधन एवं विषय तथा विशेषज्ञ बहुत अच्छे थे एवं इस कार्यक्रम के द्वारा प्रतिभागियों के ज्ञान में वृद्धि हुई है।

अधीक्षण खनिज अभियन्ता श्री एन.के. कोठारी ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उक्त प्रशिक्षण शिविर का समयबद्ध तरीके से संचालन किया गया एवं इससे लाभान्वित होने वाले समस्त इक्कतीस प्रतिभागी अपने कार्य क्षेत्र में जाकर पांच अन्य व्यक्तियों से जानकारी प्रदान कर पर्यावरण प्रबंधन योजना के बारे में जागरूक करेंगे जिससे कि अधिकाधिक लोग लाभान्वित हो सके।

यूसीसीआई की खनन उपसमिति के चेयरमेन तथा यूसीसीआई पूर्वाध्यक्ष श्री एम.एल. लूणावत ने वन, पर्यावरण एवं खनन सम्बन्धी विभिन्न कानूनों के अमल में आ रही व्यावहारिक विसंगतियों का उल्लेख करते हुए इन कानूनांे में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया।

समापन सत्र के मुख्य अतिथि खान सुरक्षा महानिदेशालय के उपमहानिदेशक बी.पी.आहूजा ने कहा कि सरकार आमजन से सुझाव आमंत्रित कर ही पर्यावरण खनन आदि के लिए नियम बनाती है।

श्री आहुजा ने कहा कि कभी भी दो सरकारी विभाग अथवा कानून एक दूसरे के परस्पर विरोधी नहीं हो सकते। उनहोंने कहा कि सरकारी विभागों में आपसी तालमेल के अभाव में खनन उद्यमियों को परेशानी उठानी पड़ती है। श्री आहुजा ने सरकारी विभागों में आपसी समन्वय बढ़ाये जाने की जरूरत पर बल दिया जिससे खनन उद्यमियों को लाभ मिल सके। खान एवं भू विज्ञान विभाग, राजस्थान के निदेशक डी.एस. मारू ने कहा कि पर्यावरण को लेकर आज केवल एनजीओ ही नहीं बल्कि प्राधिकरण एवं न्यायालय भी अतिसक्रिय हो गये है।

श्री मारू ने बताया कि खनन हेतु अनुमति प्रदान करने से पूर्व जन सुनवाई की प्रक्रिया अपनाई जाती है। यह जानते हुए भी कि मिनरल उत्खनन आवश्यक है कतिपय व्यक्तियों द्वारा जन सुनवाई के दौरान प्रायः अनावश्यक रुप से खनन का विरोध किया जाता है। श्री मारू ने सुझाव दिया कि ऐसी प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए, जिससे खानें भी चलती रहे, रोजगार भी मिले, पर्यावरण की न्यूनतम हानि हो एवं सरकार को राजस्व भी प्राप्त हो।

श्री मारू ने कहा कि ज्यादा सख्त कानून बनाने से कोई भी उद्यमी खान आवंटन हेतु आगे नहीं आयेगा जिससे अवैध खनन गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा अतः नियमों का सरलीकरण आवश्यक है।

यूसीसीआई के अध्यक्ष विनोद कुमट ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सम्बोधन में यह आश्वासन दिया कि 27 अप्रैल से आरम्भ होने वाले आगामी तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में वन विभाग, भारतीय खान ब्यूरो एवं खान सुरक्षा महानिदेशालय के अधिकारियों को प्रशिक्षण हेतु आमंत्रित किये जायेंगे।

कार्यक्रम के अन्त में खान एवं भू विज्ञान विभाग, राजस्थान के निदेशक डी.एस. मारू तथा खान सुरक्षा महानिदेशालय के उप महानिदेशक बी.पी. आहुजा द्वारा सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित किये गये।

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