तीन दिवसीय 54 वंा महाराणा कुम्भा संगीत समारोह सम्पन्न


तीन दिवसीय 54 वंा महाराणा कुम्भा संगीत समारोह सम्पन्न

महाराणा कुम्भा संगीत समारोह का अंतिम दिन अनेक मायनों में याद रखा जाएगा कि तीन दिवसीय समारोह के अंतिम दिन मुम्बई के पंडि़त रूपक कुलकर्णी ने कृष्ण के सबसे प्रिय वादन बांसुरी से उदयपुर की हरी-भरी वादियों एवं मेवाड़ की पहिचान बने हुए वीर रस देश की सबसे प्राचीन राग यमन से निकला कि उपस्थित श्रोता चकित रह गये।

 

बांसुरी से निकली कृष्ण की प्रिय राग जोग व वीररस की राग यमन अदृश्य को खोज पर आधारित कत्थक नृत्य की प्रस्तुति ने सभी को किया मोहित

तीन दिवसीय 54 वंा महाराणा कुम्भा संगीत समारोह सम्पन्न महाराणा कुम्भा संगीत समारोह का अंतिम दिन अनेक मायनों में याद रखा जाएगा कि तीन दिवसीय समारोह के अंतिम दिन मुम्बई के पंडि़त रूपक कुलकर्णी ने कृष्ण के सबसे प्रिय वादन बांसुरी से उदयपुर की हरी-भरी वादियों एवं मेवाड़ की पहिचान बने हुए वीर रस देश की सबसे प्राचीन राग यमन से निकला कि उपस्थित श्रोता चकित रह गये।

मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के विवेकानन्द सभागार में महाराणा कुम्भा संगीत परिषद द्वारा आयोजित तीन दिवसीय 54 वां महाराणा कुंम्भा संगीत समारोह के अंतिम दिन प्रथम सत्र में पं. रूपक कुलकर्णी ने समारोह की शुरूआत सबसे प्राचीन यादों में रहने वाली राग यमन से की। तत्पश्चात् बांसुरी से निकली रूपक ताल की बंदिशों ने सभी को मोहित कर दिया। अरावली की पहाडिय़ों से आच्छादित उदयपुर को देखते हुए पं. कुलकर्णी ने बांसरी से पहाड़ी धुन निकाल कर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। नवरस वाली राग यमन में विशेष रूप से पं. कुलकर्णी ने वीर रस का वादन का चयन किया।

पं. कुलकर्णी ने पूर्णिमा की पूर्व रात को कृष्ण पसन्दीदा राग जोग से उनके प्रिय श्रृंगार रस को निकाल कर सभी को उसी में डूबा दिया। बांसुरी पर चली अंगुलियों ने लय में जो उतार-चढ़ाव पैदा किया उससे श्रोता तालियों की दाद देने से नहीं रह सकें। पं. कुलकर्णी राग जोग में दो रचनाएं तीन ताल में प्रस्तुत की। इनके साथ तबले पर पं. सुधीर पाण्डे व बांसुरी पर कुसुमाकर पण्ड्या ने संगत की।

तीन दिवसीय 54 वंा महाराणा कुम्भा संगीत समारोह सम्पन्न

उस अनन्त के परे की खोज,दिमाग की सोच से परे क्या है,दिल के कोने में क्या छिपा है। हम उसी को याद रखते है जिसे हमनें छुआ है,जिसे देखा है लेकिन यह खोज उसकी थी जिसे हमनें न कभी देखा है और न कभी छुआ है। इसी अदृश्य की खोज पर आधारित अनचार्टेड सीज को लेकर 7 नृत्य कलाकरों एवं तीन म्यूजिशियन के साथ अदिति मंगलदास एण्ड ग्रुप ने आज समारोह के द्वितीय सत्र में कत्थक नृत्य के जरिये यह बताने का प्रयास किया कि यह खोज ऐसी है जिसे हम भगवान,प्यार,स्वतंत्रता,सच्चाई,सुन्दरता का नाम दे सकते है। एकरूपता में प्रस्तुत की गई कत्थक नृत्य की प्रस्तुति अनचार्टेड सीज ने यह अहसास नहीं होने दिया कि वास्तव में दो हिस्सों में बंटी हुई है। ग्रुप ने प्रस्तुति के जरिये यह दिखया कि हर प्रश्न का उत्तर नहीं मिलता है लेकिन हम कविताओं को भावनाओं एवं दृश्यों में परिवर्तित कर सकते है।

मुख्य अतिथि महापैर चन्द्रसिंह कोठारी,प्रमुख अतिथि रोटरी अन्तर्राष्ट्रीय के पूर्व अध्यक्ष एवं वर्तमान में रोटरी फाउण्डेशन के अन्तर्राष्ट्रीय अध्यक्ष कल्याण बेनर्जी, विशिष्ठ अतिथि हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड की सीएसआर हेड नीलिमा खेतान तथा हरिओम सिंह राठौड़ थे। इस अवसर पर परिषद के मानद सचिव डॉ.यशवन्त कोठारी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि शहर में राष्टीय स्तर के इतने बड़े होने वाले आयोजनों के लिए एक बड़े ऑडिटोरियम की आवश्यकता है लेकिन सबसे बड़ा दुख यह है कि बड़ी-बड़ी कम्पनियों के पास सीएसआर प्रोजेक्ट के नाम पर करोड़ों रूपया रहता है लेकिन संगीत के नाम पर वे कुछ भी व्यय नहीं करते है। कार्यक्रम का संचालन डॉ.लोकेश जैन एवं उर्वशी सिंघवी ने किया।

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