जग में सबसे बड़ी पूंजी है समयः नीलाजंनाश्री
साध्वी नीलाजंनाश्री ने कहा कि जीवन में सबसे बड़ी पूंजी समय है। जीवन में सबकुछ लौटाया जा सकता है लेकिन समय नहीं। एक समय की गणना जैन दर्शन में की गई है।
साध्वी नीलाजंनाश्री ने कहा कि जीवन में सबसे बड़ी पूंजी समय है। जीवन में सबकुछ लौटाया जा सकता है लेकिन समय नहीं। एक समय की गणना जैन दर्शन में की गई है।
वे आज वासुपूज्य मंदिर स्थित दादाबाड़ी में आयोजित धर्मसभा में बोल रही थी। उन्होेंने कहा कि बीता हुआ क्षण कभी नहीं आ सकता है। इसलिये समय की कीमत को पहचानना चाहिये। उन्होेंने कहा कि यह शरीर किराये का है। एक निश्चित समय बाद इस शरीर को छोड़ना पडता है। जो व्यक्ति किराये के मकान में रहता है वह उस मकान में किसी प्रकार का निवेश नहीं करता है। इसी प्रकार मनुष्य इस किराये के शरीर को सजाने के लिये भी समय रूपी कोई पूंजी नहीं लगाता है। जब कि इस शरीर को इसी की सबसे अधिक आवश्यकता होती है।
साध्वीश्री ने कहा कि मुर्दा शरीर की खुली आंखे देखकर भी डर लगता है। मनुष्य शरीर के बताये रास्ते पर चलता है। वह चिकित्सक की सलाह का तो अनुसरण करता है लेकिन ईश्वर के आदेश को मानने से इंकार कर देता है।
चातुर्मास सह संयोजक प्रतापसिंह चेलावत एवं दलपत दोशी ने बताया कि साध्वी श्री की ओर से प्रवचन सभा में आये सभी श्रावक-श्राविकाओं के लिये एक परीक्षा आयाेिजत की गई। जिसके उत्तर आज की जिनवाणी में ही थे। सभी ने इस परीक्षा में उत्साह के साथ भाग लिया। परीक्षा में उतीर्ण श्रावक-श्राविकाओं को पुरूस्कृत किया गया। रविवार को उपासरे में जैना व्रत का आयोजन किया गया। जिसमें सभी श्रावक श्राविकाओ ने पूरे दिन उपासरे में ही सामायिक कर प्रभु आराधना की।
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