टारगेट पूरा करने के लिए बैंक कर्मचारियों ने एफडी के नाम पर कर दी बीमा पॉलिसीया


टारगेट पूरा करने के लिए बैंक कर्मचारियों ने एफडी के नाम पर कर दी बीमा पॉलिसीया

निजी बैंक ने किसान क्रेडिट कार्ड पर दिए गए लोन की रकम में से एफडी के नाम पर बीमा पॉलिसी इशू करने का मामले को स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने जाँच की तो पता चला की बैंक कर्मचारियों और अधिकारीयों ने टारगेट पूरा करने के लिए सरेआम नियम कायदे की धज्जिया उड़ाते हुए गरीब किसानो, सेवानिवृत्त वृद्ध, छात्रों और यहाँ तक की मानसिक रोगियों तक को बीमा पालिसी चिपका दी।

 
टारगेट पूरा करने के लिए बैंक कर्मचारियों ने एफडी के नाम पर कर दी बीमा पॉलिसीया

निजी बैंक ने किसान क्रेडिट कार्ड पर दिए गए लोन की रकम में से एफडी के नाम पर बीमा पॉलिसी इशू करने का मामले को स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने जाँच की तो पता चला की बैंक कर्मचारियों और अधिकारीयों ने टारगेट पूरा करने के लिए सरेआम नियम कायदे की धज्जिया उड़ाते हुए गरीब किसानो, सेवानिवृत्त वृद्ध, छात्रों और यहाँ तक की मानसिक रोगियों तक को बीमा पालिसी चिपका दी। बैंक ने अपने निजी स्वार्थ और लाभ के लिए कर्मचारियों को टारगेट दिए। अपनी नौकरी बचने और टारगेट पूरा करने के लिए ग्राहकों को धोखे में रखकर एफडी के नाम पर बीमा पॉलिसी जारी कर दी गई। प्रीमियम आने पर परिवादियों शिकायतें की तो बैंक ने अपने कर्मचारियों पर कार्यवाही की बजाय उल्टा ग्राहकों को ही कानूनी कार्यवाही करने की धमकी दे डाली। कुछ मामलो की शिकायत रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया तक पहुंची तो बैंक ने अपनी गलती मानते हुए परिवादियों के पैसे भी लौटा दिए। लेकिन अब भी कई ऐसे मामले है जिनमे लोग अपने पैसो के लिए बैंक और कोर्ट कचहरी के चक्कर लगा रहे है।

केस न. 1 कोटड़ी नाथद्वारा निवासी एक परिवार ने अपनी ज़मीन बेचीं तो खाते में रकम देखते ही बैंककर्मचारी उनके पास पहुंचे और प्रतापसिंह की पत्नी लीला कुंवर, जीवन सिंह और राम सिंह (जो की एक मानसिक रोगी है), एफडी बनाने के नाम पर बीमा पालिसी दे दी। इस केस में रामसिंह के मानसिक रोगी होने के बावजूद नियम कायदे को ताक पर रख कर सवा दो लाख की पांच साल की बीमा पालिसी बना दी। प्रीमियम की जब राशि आई तो इस परिवार के होश उड़ गए। आरबीआई में शिकायत होने पर बैंक ने राशि लौटाई।

केस न. 2 निजी कंपनी से सेवानिवृत होने पर जमीला बेगम को प्राप्त 20 लाख की राशि एफडी के बजाय जमीला बेगम के भतीजे के नाम पर बीमा पालिसी पकड़ा दी गई। इस केस में जमीला बेगम के 75 वर्ष की आयु का होने के कारण भतीजा जो की एक छात्र है, के नाम पर बीमा पालिसी बना दी गयी। पांच साल के लिए प्रतिवर्ष की 20 लाख रूपये की प्रीमियम आने पर जमीला बेगम के होश फाख्ता हो गए। उन्होंने भी आरबीआई में शिकायत दर्ज करवाई तो बैंक ने पुनः रिटायर्ड वृद्धा के पैसे लौटा दिए।

Source: Rajasthan Patrika

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