
राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर और झवेरचंद मेघाणी लोक साहित्य केन्द्र सौराष्ट्र युनिवर्सिटी, राजकोट के संयुक्त तत्वाधान मे शहर मे राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। इस दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी मे राजस्थान व गुजरात के लोक साहित्य का स्वतंत्रता मे किये गये योगदान के मुद्दो पर चर्चा होगी। संगोष्ठी कार्यक्रम को लेकर शुक्रवार को राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर के अध्यक्ष श्याम महर्षि ने पत्रकारो से वार्ता करते हुये बताया कि हिन्दी व राजस्थानी भाषा के प्रचार-प्रसार को लेकर विभिन्न अकादमियों के द्वारा देश मे अब तक 40 से अधिक संगोष्ठियां की जा चुकी है। राजस्थान व गुजारात का साहित्यकाल हमेशा एक-दुसरे का पुरक रहा है। संगोष्ठी के आयोजन का मुख्य उदे्श्य हिन्दी व राजस्थानी भाषा के प्रचार-प्रसार व गुजरात-राजस्थान के लोक साहित्य के बारे मे ज्ञान को बढाना है।
अंग्रेजी भाषा के बढते प्रचलन महर्षि ने कहा कि देश मे अंग्रेजी भाषा का प्रचलन बढ रहा है। लोग दिखावे के लिए ज्यादा अंग्रेजी भाषा का प्रयोग करते है। विश्वविद्यालयो मे होने वाले राष्ट्रीय कार्यक्रमो मे इसका उपयोग अधिक किया जाता है। राजस्थानी भाषा की मान्यता पर महर्षि ने बताया कि 2003 मे राज्य सरकार के द्वारा इस पर सहमति जताते हुये इसे पास कर दिया गया था और अभी राजस्थानी भाषा की मान्यता को लेकर मामला संसद मे विचाराधीन है। राजस्थानी भाषा की मान्यता को लेकर लगातार अकादमी के द्वारा संघर्ष किया जा रहा है। शहर के शक्तिनगर स्थित झुलेलाल भवन मे होने वाले इस दो दिवसीय कार्यक्रम मे शनिवार को सौराष्ट्र युनिवर्सिटी, राजकोट के कुलपति डॉ. एम. के पाडलिया, सुखाडिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आई. वी त्रिवेदी, डॉ चेतन स्वामी, रवि पुरोहित, हर्षद त्रिवेदी सहित कई कवि, कथाकार व विभिन्न भाषाओं के विशेषज्ञ भाग लेगे।