फसल कटाई उपरान्त प्रौद्योगिकी एवं प्रबन्धन तकनीेकी पर प्रशिक्षण सम्पन्न
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कटाई उपरान्त प्रौद्योगिकी केन्द्र में सात दिवसीय (दिनाकं 19.07.2014 से 25.07.2014) ‘‘कटाई उपरान्त प्रौद्योगिकी एवं प्रबन्धन तकनीेकी विषय पर प्रशिक्षण के समापन समारोह में डॉ. वी. डी. मुद्गल, शोध अभियन्ता एवं प्रशिक्षण समन्वयक, ने कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि प्रशिक्षण के दौरान अनाज, दलहन, तिलहन, दुग्ध उत्पाद, फल एवं सब्जियों के प्रसंस्करण तथा मूल्यसंवर्धन के साथ-साथ गृह उद्योग उपयोगी मसाला प्रसंस्करण इत्यादी विषयों के प्रबन्धन की जानकारी दी गई।
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कटाई उपरान्त प्रौद्योगिकी केन्द्र में सात दिवसीय (दिनाकं 19.07.2014 से 25.07.2014) ‘‘कटाई उपरान्त प्रौद्योगिकी एवं प्रबन्धन तकनीेकी विषय पर प्रशिक्षण के समापन समारोह में डॉ. वी. डी. मुद्गल, शोध अभियन्ता एवं प्रशिक्षण समन्वयक, ने कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि प्रशिक्षण के दौरान अनाज, दलहन, तिलहन, दुग्ध उत्पाद, फल एवं सब्जियों के प्रसंस्करण तथा मूल्यसंवर्धन के साथ-साथ गृह उद्योग उपयोगी मसाला प्रसंस्करण इत्यादी विषयों के प्रबन्धन की जानकारी दी गई।
यह प्रशिक्षण कृषि मंत्रालय, हरियाणा के सोजन्य से आयोजित किया जा रहा था। प्रशिक्षण क्रार्यक्रम मे 30 कृषि अभियंता प्रशिक्षण हेतु भाग ले रहे है। जिसमें 18 प्रशिक्षाणार्थी हरियाणा सरकार ने नामित किये है।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि प्रोफेसर ओ. पी. गिल, कुलपति, महाराणा प्रताप कृषि एवं विश्वविद्यालय ने बताया कि भारत सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार एवं विश्विद्यालय कटाई उपरान्त प्रौद्योगिकी पर विशेष ध्यान दे रही है। उन्होने विभिन्न फसलों एवं फल तथा सब्जियों कटाई उपरान्त होने वाली क्षति के बारे में बताते हुए कहा कि इस क्षति को रोकना बहुत जरूरी है।
आपने बताया कि लघु किसानों हेतु विभिन्न प्रकार की मशीनें हमारे यहां कटाई उपरान्त प्रौद्योगिकी केन्द्र द्वारा विकसित की गई है जिनका प्रयोग रखते हुए किसान अपनी फसल की गुणवत्ता में वृद्धि कर सकते है। भण्डारण की उपयोगिता पर जोर देते हुए आवहान किया कि इस प्रशिक्षण में आये हुए प्रतिभागी प्रशिक्षण का भरपूर फायदा उठायेंगें व अपने राज्य में जाकर इसका वहा प्रयोग करेंगें।
प्रशिक्षणार्थियों की तरफ से धन्यवाद देते हुये श्री धर्मवीर यादव एवं रणजीत सिंह बताया कि इस प्रसंस्करण तकनीकी के प्रशिक्षण से हरियाणा के किसानो को बहुत लाभ मिलेगा । फसलो का प्रसंस्करण व मूल्यसंवर्धन कर स्वंय सहायता समूह द्वारा अतिरिक्त आमदनी व रोजगार के साधन उत्पाद क्षेत्रों मे ही जुटाये जा सकेगे।
डा. एस. के जैन, प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष ने कार्यक्रम के अन्त में माननीय अतिथियों एवं प्रतिभागीयों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
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