आयुर्वेद में भी अन्तःस्रावी ग्रन्थियों के रोगो का उपचार


आयुर्वेद में भी अन्तःस्रावी ग्रन्थियों के रोगो का उपचार

मदन मोहन मालवीय राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालयीय उदयपुर में दो दिवसीय सेमीनार में देश से आए आयुर्वेद विशेषज्ञों ने अन्तःस्रावी ग्रन्थियो से सम्बन्धित रोगो से बचाव एवं उपचार के विषय में चर्चा की।

 

आयुर्वेद में भी अन्तःस्रावी ग्रन्थियों के रोगो का उपचार

मदन मोहन मालवीय राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालयीय उदयपुर में दो दिवसीय सेमीनार में देश से आए आयुर्वेद विशेषज्ञों ने अन्तःस्रावी ग्रन्थियो से सम्बन्धित रोगो से बचाव एवं उपचार के विषय में चर्चा की।

राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर से आये स्वस्थवृत विभाग के प्रोफेसर कमलेश विधार्थी ने मधमेह, रक्तचाप एवं थाइराईड विकृतियों में उपयोगी योगासन, व्यायाम एवं भोजन के साथ नियमित दिनचर्या पर विशिष्ट व्याखान दिया।

आयुर्वेद महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर राज्यवर्द्धन सिंह राय ने द्वितीय वैज्ञानिक सत्र मे शोध परक तथ्यों के आधार पर थाईराइड की विकृतियों में वात-कफ दोष परक चिकित्सा के सर्न्दभ में गौ-मूत्र भावित हरीतकी चूर्ण के प्रयोग से हुये लाभ के द्वारा प्रस्तुति दी, प्रो. राय ने कहा कि अन्तः स्रावी ग्रन्थियों की आधुनिक काल में उपलब्ध हुयी जानकारीयों के पूर्व भी ये ग्रन्थियों मानव शरीर में अपना कार्य कर रही थी, तथा उस समय प्रचलित चिकित्सा प्रणालियो में लक्षणों के अनुरूप चिकित्सा व्यवस्था थी, इसलिये आयुर्वेद की संहिताओं में वर्णित लक्षणानुरूप अन्तः स्रावी ग्रन्थियों के विकारों से सभ्यता के अनुरूप चिकित्सा व्यवस्था करती चाहिये।

प्रारंभिक सत्र में आर.एन.टी.मेडिकल कॉलेज के स्त्रीरोग विभागाध्यक्ष प्रो. अरूण गुप्ता ने महिलाओं में थाईराइड विकारों पर अपना पत्र प्रस्तुत करते हुये बताया कि गर्भावस्था मे 2 से 4 प्रतिशत महिलाओं में थाईराइड विकार पाये जाते है, जिसमे समय पूर्व प्रसव तथा मन्द बुद्धि के बालक पैदा होते हैं, हमें इस रोग के सम्बन्ध में जारूकता का प्रयास करने चाहिए ताकि महिलाएॅ गर्भावस्था के दौरान नियमित जाचॅ करवायें ताकि स्वस्थ संतान पैदा हौ। दिल्ली से आये डॉ पंकज कटारा ने महानगरो मे बढते प्रदुषण एवं अप्राकृतिक जीवन शैली से हो रहे अन्तःस्त्रावी ग्रन्थियों के विकारों पर अपना पत्र वाचन करते हुये शीतकाल में पिप्पली के नियमित प्रयोग में होने वाले लाभों पर व्याख्यान दिया।

विभिन्न सत्रों में हुये व्याख्यानों में अश्वगंधा, शतावरी, मुलैठी एवं गिलोय जैसे रसायन औषध द्रव्यों के प्रयोगो से स्वास्थ्य लाभ के रिसर्च पेपर प्रस्तुत किये गये।

नेशनल सेमीनार के संयोजक एवं प्राचार्य प्रो. गौरीशंकर इन्दौरिया ने बताया कि दो दिन में 12 सत्रों में 120 शोधपत्र प्रस्तुत हुये वहीं 24 से अधिक विशिष्ठ अतिथि द्वारा व्याख्यान प्रस्तुत किये गये। सेमीनार में प्राप्त विचारों एवं शोधकार्यो को ओर अधिक प्रभावी रुप से चिकित्सा क्षैत्र में प्रयोग करने के लिये अन्तर्विषयक शोध कार्यक्रमों का क्रियान्वयन किया जायेगा, जिसमें आयुर्वेदीय रसायन औषधियों का प्रभाव लेबोरेट्रिकल परीक्षणों के साथ किया जाकर परिणाम जाने जायेंगें। सेमीनार में डॉ प्रमोद मिश्रा तथा डॉ. इन्दुमति शर्मा ने भी अपने व्याख्यान प्रस्तुत किये।

सेमीनार में गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरांचल एवं पंजाब प्रान्तों से स्नातकोत्तर अध्येताओं के साथ विभिन्न शिक्षण संस्थानों के शिक्षकों ने भाग लिया।

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal

Tags