हृदय के छेद का बिना ऑपरेशन उपचार
गीतांजली हॉस्पिटल, उदयपुर के गीतांजली हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ रमेश पटेल, डॉ सीपी पुरोहित एवं डॉ हरीश सनाढ्य ने 28 नवंबर 2016 को ढाई वर्ष की बच्ची के हृदय में छेद को बिना ऑपरेशन सफलतापूर्वक बंद किया जिसने संभाग में गीतांजली हॉस्पिटल में प्रथम बार सफलता अर्जित की जिससे भविष्य में लोगों को लाभ होगा।
गीतांजली हॉस्पिटल, उदयपुर के गीतांजली हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ रमेश पटेल, डॉ सीपी पुरोहित एवं डॉ हरीश सनाढ्य ने 28 नवंबर 2016 को ढाई वर्ष की बच्ची के हृदय में छेद को बिना ऑपरेशन सफलतापूर्वक बंद किया जिसने संभाग में गीतांजली हॉस्पिटल में प्रथम बार सफलता अर्जित की जिससे भविष्य में लोगों को लाभ होगा। आमतौर पर यह छेद सर्जरी से बंद किया जाता है पर इस बच्ची में विशेष उपकरण के इस्तेमाल से हृदय में छेद को बंद किया गया। यह प्रक्रिया कैथीटेराइजेशन लेब में की गई। डॉ सीपी पुरोहित ने बताया कि उदयपुर निवासी बच्ची उर्वशी सुथार (उम्र ढाई वर्ष) के पैदा होने के उपरान्त ही उसके माता-पिता को बताया गया कि बच्ची के हृदय में छेद है पर कम उम्र के कारण इलाज जटिल था। बचपन से ही बच्ची को खांसी-जुकाम और थोड़ा सा तेज़ चलने पर सांस फूलने की शिकायत थी। गीतांजली हॉस्पिटल में परामर्श के बाद बच्ची की ईको-कार्डियोग्राफी की गई जिसमें पाया गया कि वेंटिकुलर सेप्टल, हृदय का एक चेंबर, जो हृदय के निचले कक्षों को अलग करता है उसमें छेद है। इसके बाद हृदय में छेद को बिना ऑपरेशन विशेष उपकरण के इस्तेमाल से बंद करने का निर्णय लिया गया। दो घंटें की इस प्रक्रिया में कैथेटर को पैर की रक्त वाहिकाओं के माध्यम से शरीर में हृदय तक ले जाया गया। एक बंद डिवाइस को कैथेटर के माध्यम से पिरोया गया और वीएसडी में रखा गया। यह डिवाइस बटन नुमा आकार का होता है। इस डिवाइस को सही जगह पर रख कैथेटर को बहार निकाल लिया गया। इस प्रक्रिया के कई फायदे है जैसे किसी प्रकार की चीर-फाड़ नहीं होती है और प्रक्रिया के दो ही दिन में छुट्टी दे दी जाती है। बच्ची अब पूरी तरह स्वस्थ्य है और आगे भविष्य में भी उसे इससे सम्बंधित कोई परेशानी नहीं होगी।
डॉ पुरोहित ने यह भी बताया कि हर वीएसडी को कैथीटेराइजेशन द्वारा बंद नहीं किया जा सकता। उसके लिए जरुरी होता है कि वीएसडी को माप लिया जाए जिससे उसे डिवाइस द्वारा बंद कर पाना संभव है भी या नहीं यह पता चल सके। यदि हृदय में छेद बटन नुमा आकार का हो तो ही उसे डिवाइस से बंद किया जा सकता है अन्यथा सर्जरी ही करानी पड़ती है। उसके लिए ईको-कार्डियोग्राफी की जाती है जिसके आधार पर निर्णय लिया जाता है। आमतौर पर एएसडी एवं पीडीए में छेद को डिवाइस द्वारा बंद कर पाना आसान होता है और वीएसडी को सर्जरी से ही ठीक किया जाता है। पर इस केस में छेद को डिवाइस द्वारा ही सफलतापूर्वक बंद किया गया। इस बच्ची का इलाज नवीनतम तकनीक से गीतांजली हॉस्पिटल में राजस्थान सरकार की राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत निःशुल्क हुआ।
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