फतहसागर पाल पर श्रद्धांजलि सभा
"मानव बनना सरल है लेकिन मानवता धारण करना कठिन हैं। मानव बन कर जो मानवता को धारण नहीं करते हैं वे कभी भी सुखी नहीं रह सकते। इंसानियत को अपनाना व हैवानियत को छोडऩा प्रत्येक मानव का कर्तव्य है। हिंसात्मक कार्यों से कभी भी सुख शांति नहीं मिल सकती। जो हिसात्मक कार्य से सुखी होना चाह
“मानव बनना सरल है लेकिन मानवता धारण करना कठिन हैं। मानव बन कर जो मानवता को धारण नहीं करते हैं वे कभी भी सुखी नहीं रह सकते। इंसानियत को अपनाना व हैवानियत को छोडऩा प्रत्येक मानव का कर्तव्य है। हिंसात्मक कार्यों से कभी भी सुख शांति नहीं मिल सकती। जो हिसात्मक कार्य से सुखी होना चाहते हैं मानो वो बालू में से तेल निकालना चाहते हैं” – उक्त विचार आचार्य सुकुमालनन्दी महाराज ने हैदराबाद में हुए आतंकी विस्फोट में मारे गये लोगों को आयोजित फतहसागर की पाल पर श्रद्धांजलि सभा में व्यक्त किये।
आर्चाश्री ने कहा हजारों दीपक जलाना मात्र मृत लोगों की श्रद्धांजलि का ही प्रतीक नहीं है अपितु आगामी दिनों में इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो, पूरे देश में अज्ञानता और दानवता के अन्धेरे का विनाश कर सुख- शांति और चमन रूपी प्रकाश को प्रज्वलित करना होता है। आचार्यश्री ने वहां एकत्रित लोगों को संकल्प दिलाया कि सभी मिल-जुल कर रहें, एक दूसरे से भाईचारे का व्यवहार करें और असामाजिक तत्वों द्वारा की जाने वाली गतिविधियों को जड़-मूल से विनाश करें।
यदि हममें एकता रही तो किसी की ताकत नहीं कि इस देश पर हमला कर सके। आचार्यश्री ससंघ सानिध्य में नगर विकास प्रन्यास मण्डल के सदस्यों की बैठक हुई जिसमें झीलों के विकास, संरक्षण एवं संवर्धन हेतु विस्तृत चर्चा हुई।
सायंकालीन गुरूभक्ति व आरती का आयोजन हुआ। प्रात:कालीन श्रीजी का अभिषेक हुआ और शांतिधारा की गई। मोती महल (टाया पैलेस) के ठीक सामने हुई श्रद्धांजलि सभा में आचार्यश्री एवं सभी जाति व सम्प्रदाय के लोग उपस्थित थे। सभी ने अपने विचार व्यक्त किये एवं आचार्यश्री को जैन सन्त की जगह जन सन्त की उपाधि दी गई।
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