प्राणों को संकट में डालने वाला सत्य झूठ से भी अधिक घातकःडाॅ.शिवमुनि
श्रमण संघीय आचार्य शिवमुनि महाराज ने कहा कि जो सत्य किसी के प्राणों को संकट में डाले वह झूठ से भी अधिक घातक होता है, जबकि प्राण रक्षक झूठ कभी-कभी सत्य पर भारी होता है। इसीलिए सत्य को बोलने से अधिक उसे जानने पर बल देना चाहिये।
श्रमण संघीय आचार्य शिवमुनि महाराज ने कहा कि जो सत्य किसी के प्राणों को संकट में डाले वह झूठ से भी अधिक घातक होता है, जबकि प्राण रक्षक झूठ कभी-कभी सत्य पर भारी होता है। इसीलिए सत्य को बोलने से अधिक उसे जानने पर बल देना चाहिये।
वे आज महाप्रज्ञ विहार स्थित शिवाचार्य समवसरण में श्रद्धालुओं को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सत्य साधना से जागृत होता है और साधनों से मृत होता है। सत्य केवल चर्चा तक ही नहीं आपके जीवन में और चरित्र में शामिल होना चाहिए। नर्म लहजे से तो पत्थर भी पिघल जाते है। साधना में नहाया हुआ। सत्य सदैव मीठा होता है।
आचार्यश्री ने कहा कि सत्य बोलो, प्रिय बोले, अप्रिय सत्य भी मत बोलो, प्रिय लगने वाला झूठ भी मत बोलो, यही सत्य ध्र्म है। भगवान महावीर कहते हैं वह सच-झूठ ही है जो किसी को पीड़ा देता है। सत्य पीड़ाकारी नहीं, प्रियकारी होना चाहिए। जीवन में कभी भी कर्ज, फर्ज और मर्ज को छोटा न समझें। अल्पक्षण कालान्तर में बहुत बड़ा रूप ले सकता है। छोटी सी बीमारी बड़ी व्याधि बन सकती है। फर्ज भी छोटा नहीं होता। कर्तव्य निर्वाह में छोटेपन का बोध नहीं होना चाहिए। किसी पीड़ित की सहायता में गर्व और उत्साह का भाव सुकून देता है।
आज पाण्डाल में शिरीष मुनि ने एक दिवसीय ध्यान शिविर में लगभग 400 लोगों ने भाग लिया। चातुर्मास की प्रथम उपवास की अठाई श्रावक सुरेश मोदी ने पूर्ण की।
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