इक्कीस दिवसीय ओरियेन्टेशन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का समापन


इक्कीस दिवसीय ओरियेन्टेशन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का समापन

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के आयोजना एवं परिवीक्षण निदेशालय द्वारा आयोजित 21 दिवसीय ओरियन्टेशन (अभिविन्यास) प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का समापन सोमवार को विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय के प्रज्ञा हॉल मे हुआ।

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इक्कीस दिवसीय ओरियेन्टेशन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का समापन

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के आयोजना एवं परिवीक्षण निदेशालय द्वारा आयोजित 21 दिवसीय ओरियन्टेशन (अभिविन्यास) प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का समापन सोमवार को विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय के प्रज्ञा हॉल मे हुआ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओ. पी. गिल ने नवनियुक्त संकाय सदस्यों को संबोधित करते हुऐ अपेक्षा दर्शाई कि उन्हें इस प्रशिक्षण पाठ्यक्रम से जो प्रशासनिक कार्यप्रणाली, नियमों, शिक्षा, अनुसंधान एवं प्रसार गतिविधियों के साथ ही संसाधनों के ज्ञान, अनुसंधान योजनाओं के निर्माण एवं क्रियान्वयन की जानकारी दी गई है, वह आपके जीवन मे पग-पग पर काम आएगी।

प्रो. गिल ने कहा कि इस ज्ञान से आप की कार्यकुशलता व दक्षता मे अवश्य ही वृद्धि होगी। उन्होंने अल्प समय की कार्ययोजना मे ही सफलता पूवक आयोजित इस प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के लिये पाठ्यक्रम के समन्वयक एवं आयोजना व परिवीक्षण निदेशक ड़ॉ. जे. एल. चौधरी एवं विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. आई. जे. माथुर को बधाई भी दी।

इक्कीस दिवसीय ओरियेन्टेशन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का समापन

कार्यक्रम के प्रारम्भ मे पाठ्यक्रम के समन्वयक एवं आयोजना व परिवीक्षण निदेशक ड़ॉ. जे. एल. चौधरी ने आगंतुकों का स्वागत करते हुए बताया कि विश्वविद्यालय के इस चतुर्थ ओरियेन्टेशन कार्यक्रम मे मप्रकृएवंप्रौविवि, उदयपुर सहित राज. पशु चिकित्सा एवं पशुपालन विश्वविद्यालय, बीकानेर के कुल 37 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के 2010 के नियमानुसार विश्वविद्यालय शिक्षकों एवं वैज्ञानिकों को पदोन्नति हेतु इस तरह के प्रशिक्षण लेना अनिवार्य है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम विवि. के प्रसार शिक्षा निदेशालय के संयुक्त तत्वावधान मे आयोजित किया गया।

इस प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षणर्थियों को विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली, नियमों, व कृषि शिक्षा, अनुसंधान एवं प्रसार गातिविधियों के साथ ही संसाधनों के ज्ञान, मूल्य संवर्धन, सीखने की प्रक्रिया, अनुसंधान योजनाओं के निर्माण एवं क्रियान्वयन, अनुसंधान परियोजनाओं व प्रसार की प्रणाली व विधियों से अवगत कराया गया । साथ ही व्यक्तित्व विकास, प्रबन्धन, मानवीय सम्बन्धों, खेलकूद व सह शैक्षणिक गतिविधियों के साथ ही आधुनिक ज्ञान के सोपान जैसे सूचना प्रौद्योगिकी, कम्प्यूटर आधारित सीखने व सिखाने की प्रक्रियाओं पर भी विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के दौरान कृषि विश्वविद्यालय जूनागढ़, केवीके कोडि़नार, धांधुका व वेरावल का चार दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण भी आयोजित किया गया।

विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ. सुबोध शर्मा ने बताया इस कार्यक्रम के समापन सत्र मे विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. आई. जे माथुर, अधिष्ठाता, मात्स्यकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. विमल शर्मा, डेयरी महाविद्यालय अधिष्ठाता डॉ. ऐ. के. सांखला, गृह विज्ञान महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. आरती परीक्षा नियंत्रक डॉ. वीरेंद्र नेनालिया, छात्र कल्याण निदेशक डॉ. वाई सी भट्ट, प्रसार शिक्षा निदेशालय की डॉ. मीना सनाढ़य, डॉ. रेखा व्यास, डॉ. पियुष जानी, डॉ. लतिका व्यास आदि उपस्थित थे।

इस अवसर पर प्रशिक्षणार्थियों का प्रतिनिधित्व करते हुऐ डॉ.मनोज महला, डॉ.अनिल व्यास, डॉ. दिनेष व डॉ. लेखा ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

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