दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आगाज़ हुआ
विश्वविधालय सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी महाविधालय उदयपुर में मोहन लाल सुखाडि़या विश्वविधालय उदयपुर एवं राजस्थान संस्कृत अकादमी ,जयपुर के तत्त्वावधान में प्राचीन भारतीय आर्थिक चिन्तन : सनातन सन्दर्भश् विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारम्भ दिनांक 15 फरवरी, 2013 शुक्रवार को महाविधालय सभागार में हुआ।
विश्वविधालय सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी महाविधालय उदयपुर में मोहन लाल सुखाडि़या विश्वविधालय उदयपुर एवं राजस्थान संस्कृत अकादमी ,जयपुर के तत्त्वावधान में प्राचीन भारतीय आर्थिक चिन्तन : सनातन सन्दर्भश् विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारम्भ दिनांक 15 फरवरी, 2013 शुक्रवार को महाविधालय सभागार में हुआ।
भारतीय संस्कृति में पुरूषार्थ चतुष्टय में महत्वपूर्ण रूप से मान्य अर्थ की आज के अर्थ प्रधान युग में प्रासंगीकता एवं समसामयिकता के चिन्तन, मनन एवं प्रतिष्ठान को लेकर सुन्दर देश विदेश: कनाडा, चीन, भूटान, वियतनाम से आये संस्कृत विषय विशेषज्ञों के साथ सम्मेलन के उदघाटन समारोह का आयोजन प्रारम्भ हुआ।
इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन की मुख्य प्रवर्तक राजस्थान संस्कृत अकादमी, जयपुर के अध्यक्ष आचार्य सुषमा सिंघवी ने सारस्वत अतिथि के रूप में अपने उदबोधन में जीवन में अर्थ की महत्ता एवं धन अपरिग्रह पूर्वक सयंत उपयोग पर बल डाला । वहीँ महाविधालय के अधिष्ठाता के रूप में प्रो.शरद श्रीवास्तव ने अर्थ पर विचाराभिव्यकित प्रदान की।
सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविधालय के कुलपति प्रो. इन्दवर्धन त्रिवेदी ने अर्थोपार्जन एवं अर्थ संचालन एवं अर्थ के विक्रय को सन्तुलित सामंजस्य को समसामयिक एवं प्रासंगिक बताया।
अर्थ एवं अर्थ चिन्तन पर आयोजित इस दो दिवसीय सम्मेलन में स्वागत उदबोधन में मुख्य समन्वयक प्रो. नीरज शर्मा ने सुदूर देशों से आये हुए संस्कृतविज्ञों के द्वारा शताधिक शोधपत्रों के वाचन की जानकारी प्रदान की।
संस्कृत विभाग के सह-आचार्य डॉ. अजंना पालीवाल ने उदघाटन समारोह के अन्त में धन्यवाद की रस्म सम्पादित की।
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