शिल्पग्राम में दो दिवसीय ‘‘मल्हार’’ 8 व 9 सितम्बर को
भारत की कलाओं में प्रत्येक ऋतु का वर्णन अपने अनूठे अंदाज में किया गया है। शरद हो या बसंत या फिर श्रावण कला साधकों व कलाकारों ने ऋतुओं के श्रृंगार के लिये विभिन्न विधाओं यथा संगीत, नृत्य, चित्रकारी, मूर्ति शिल्प में अपनी रचनाओं और कृतियों में अलग-अलग रंगों से व्याख्यायित किया है। श्रावण मास का उद्धरण हमारी कलाओं और साहित्य में उत्कृष्ट ढं
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से शिल्पग्राम में आगामी 8 व 9 सितम्बर को दो दिवसीय शास्त्रीय संगीत व नृत्य समारोह ‘‘मल्हार’’ का आयोजन किया जायेगा। समारोह में शास्त्रीय गायन के साथ तीन शास्त्रीय नृत्य शैलियाँ प्रमुख आकर्षण का केन्द्र होंगी।
केन्द्र निदेशक श्री फुरकान खान ने इस आशय की जानकारी देते हुए बताया कि भारत की कलाओं में प्रत्येक ऋतु का वर्णन अपने अनूठे अंदाज में किया गया है। शरद हो या बसंत या फिर श्रावण कला साधकों व कलाकारों ने ऋतुओं के श्रृंगार के लिये विभिन्न विधाओं यथा संगीत, नृत्य, चित्रकारी, मूर्ति शिल्प में अपनी रचनाओं और कृतियों में अलग-अलग रंगों से व्याख्यायित किया है। श्रावण मास का उद्धरण हमारी कलाओं और साहित्य में उत्कृष्ट ढंग से अभिव्यक्त है। कलाओं में बरसात के मौसम पर अधारित मल्हार को विशिष्ट स्थान प्रदान किया है। केन्द्र द्वारा मल्हार पर केन्द्रित शास्त्रीय संगीत व नृत्य समारोह ‘‘मल्हार’’ के आयोजन की कल्पना की गई है।
शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में ‘‘मल्हार’’ का आयोजन किया जायेगा। दो दिवसीय समारोह के पहले दिन केरल के पी. अनिल कुमार व उनके साथियों का कथकली नृत्य तथा शगुन बुटानी व दल द्वारा आॅडिसी नृत्य मुख्य आकर्षण होगा।
समारोह के दूसरे दिन पुणे की सावनी शेंडे साठ्ये का शास्त्रीय गायन होगा तथा इसके बाद दिल्ली की डाॅ. कविता ठाकुर द्वारा कत्थक की प्रस्तुति दी जायेगी। उन्होंने बताया कि दो दिवसीय समारोह में कला प्रेमियों के लिये प्रवेश निःशुल्क होगा।
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