पेसिफिक विश्वविधालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन


पेसिफिक विश्वविधालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन

आज दूसरे दिन के सम्मेलन में मुख्य वक्ता प्रो. रविन्द्र नागर ने बताया कि हमें सीमेंट को फ्लार्इ ऐश, मार्बल वेस्ट, ग्रेनाइट वेस्ट, जिंक स्लेग आदि से रिप्लेश करना चाहिए जिससे वातावरण मे उत्पन्न होने वाली रासायनिक गैसों को नियनित्रत किया जा सके। उन्होनें ग्रीन बिलिडंग में कैसे हम उर्जा को कम से कम खर्च कर सकते है इस विषय पर भी प्रकाश डाला।

 

पेसिफिक विश्वविधालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन

प्रोधौगिकी के विकास की वजह से पर्यावरण पूरी तरह प्रभावित हुआ है, और हो रहा है। जिस तरह से बड़े-बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित हुये है उससे पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचा है। कहीं फसलों के उत्पादन में गिरावट आर्इ है तो कहीं रेडियेशन की वजह से स्मृति और पौरूष प्रभावित हुआ है, कहीं सांस की समस्याएं है परन्तु वर्तमान के शोध ने विभिन्न पहलुओं पर शोध करते हुये इन सब बातों को निमूल सिद्ध किया है और प्रोधौगिकी का चोली दामन का साथ है यह सिद्ध किया है। आज दूसरे दिन के सम्मेलन में मुख्य वक्ता प्रो. रविन्द्र नागर ने बताया कि हमें सीमेंट को फ्लार्इ ऐश, मार्बल वेस्ट, ग्रेनाइट वेस्ट, जिंक स्लेग आदि से रिप्लेश करना चाहिए जिससे वातावरण मे उत्पन्न होने वाली रासायनिक गैसों को नियनित्रत किया जा सके। उन्होनें ग्रीन बिलिडंग में कैसे हम उर्जा को कम से कम खर्च कर सकते है इस विषय पर भी प्रकाश डाला।

अन्य तकनीक सत्र के मुख्य वक्ता प्रो. सुनील जोशी व डा. तरूण श्रीमाली ग्रीन कम्प्युटिंग के महत्व को समझाते हुये सभी अभियांत्रिकी शाखाओं को इको फैंडली और प्रदुषण रहित बनाने के बारें मे बताया।

उनके अनुसार MIMO तकनीक पर जोर देते हुये बताया कि रेडियेशन की समस्या को इस तकनीक के द्वारा बहुत हद तक खत्म किया जा सकता है। प्रो. नन्दवाना ने यांत्रिक अभियांत्रिकी में डिजाइन सोफ्टवेयर की उपयोगिता को वर्जित किया।

प्रो. आर. के. ऐरन के अनुसार कोर्इ भी समायिक अभियांत्रिकी पर्यावरण से हमेशा समावेश करती है। इस समावेश में पर्यावरण और समाज का संतुलन आवश्यक है। इस दो दिन के सत्र में भावी अभियंताओं को विभिन्न विषयों पर ये जानकारी दी गर्इ कि किस प्रकार कम से कम पर्यावरण का नुकसान करते हुये अच्छी अभियांत्रिकी का उपयोग कर सकते है।

विश्वविधालय द्वारा आयोजित प्रोधौगिकी और पर्यावरण के विभिन्न आयामों को समझाने में, जीवन में लागु करने की दिशा में एक सार्थक एवं सराहनीय प्रयास है, जिसके दूरगामी परिणाम निशिचत ही परिणामोत्पादक होंगे। और आने वाले समय की जटिलताओं से मानव जाति को सुरक्षित रखने में सहयोग करेंगे।

कार्यक्रम के समापन समारोह मे प्रो. एस. के. शर्मा ने दो दिवसीय कार्यक्रम की गतिविधियों को संक्षिप्त में प्रस्तुत किया। अन्त में प्रो. टी. ए. काजी ने सभी प्रतिभागियों और कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग देने वाले सभी कार्यकर्ताओं को धन्यवाद ज्ञापित किया।

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