दो दिवसीय राष्ट्रिय सेमीनार का समापन
मोहनलाल सुखाडिया के लेखा एवं सांख्यिकी विभाग तथा भारतीय लेखा परिषद की उदयपुर शाखा के संयुत्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रिय सेमीनार का समापन रविवार को वाणिज्य एवं प्रबन्ध अध्ययन महाविद्यालय के सेमीनार हॉल में हुआ।
मोहनलाल सुखाडिया के लेखा एवं सांख्यिकी विभाग तथा भारतीय लेखा परिषद की उदयपुर शाखा के संयुत्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रिय सेमीनार का समापन रविवार को वाणिज्य एवं प्रबन्ध अध्ययन महाविद्यालय के सेमीनार हॉल में हुआ।
समारोह के प्रारम्भ में सेमीनार सचिव एवं लेखा एवं सांख्यिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. शूरवीर सिंह भाणावत ने दो दिनों में सम्पन्न चारों तकनीकी सत्रों तथा उदघाटन समारोह का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होने बताया कि दो दिवसीय विचार विमर्ष से यह तथ्य उभर कर आया कि केवल नैतिकता की बात करने से स्ृजनात्मक लेखांकन को नहीं रोका जा सकता अपितु सूचना प्रोद्योगिकी आधारीत तकनीकों का जैसे न्यूरोन नेटवर्क का सहारा लेना होगा, ताकि वित्तीय घोटालों का पूर्वानुमान लगाया जा सके।
समारोह के मुख्य अतिथी सुखाडिया विष्वविद्यालय के स्पोर्टस बोर्ड के चेयरमेन प्रो. दरियाव सिंह चुण्डावत ने यह दुःख प्रकट किया कि अन्तर्राष्ट्रिय स्तर पर लेखांकन के प्रमाणीकरण का कार्य जिस तेज गति से हो रहा है उसमे तेज गति से लेखांकन घोटाले उभर कर सामने आ रहे है जो इस सभ्य समाज के लिए चिंता का विषय है।
उन्होने इस बात पर खुषी जाहिर कि ऐसे सेमीनार से समाज या किसी वर्ग को लाभ हो या ना हो, किन्तु विद्यार्थी वर्ग को निष्चित तौर से लाभ होता है।
समारोह के मुख्य वक्ता दयाल बाग विष्वविद्यालय के वाणिज्य संकाय के अधिष्ठाता प्रो. प्रमोद कुमार ने लेखांकन के समकालीन मुददो पर प्रकाष डाला। उन्होने यह बताया कि लेखांकन के क्षेत्र में दोहरा लेखा प्रणाली के आविष्कार के बाद प्रतिवेदन के क्षेत्र में दो महत्वपुर्ण क्रांतिकारी परिवर्तन आया है, वह ग्ठत्स् तथा प्थ्त्ै है, जिसने लेखांकन के प्रतिवेदन का स्वरूप ही बदल दिया। सेमीनार कन्वेनर प्रो. सी. एम. जैन ने अतिथयों का स्वागत किया तथा लेखा विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर जी. सोरल ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
रविवार को तीसरा तकनीकी सत्र कमोडिटी बाजार तथा जोखिम प्रबंध के चेयरमेन प्रबंध संकाय के प्रो. अनिल कोठारी थे। इस सत्र मे समन्वयक पी.आई.एम.टी. के प्रो. के.के. दवे थे। इस सत्र मे मोनिका सोनी, डॉ. धमेंद्र मेहता (उजैन), निमिषा बोरा (गोहाटी), डॉ. अर्चना सिंह आदि ने पत्र वाचन किया। इस सत्र मे यह तथ्य उभर आया की, वस्तु बाजार मे होने वाले सट्टे का प्रभाव वस्तुओं कि कीमत पर कृत्रिम प्रभाव पड़ता है। उन्होने यह भी बताया कि वस्तु बाजार में जब भी नई वस्तु का समावेष होता है तो वह लगभग एक वर्ष तक अत्यंत लाभकारी रहती है।
चौथा तकनीकि सत्र ‘वित्तीय उपकरणों का लेखांकन‘ के चेयरमेन प्रो. प्रमोद कुमार थे तथा समन्वयक पेसीफिक विष्वविद्यालय के डॉ.पुष्पकांत शाकाद्विपी थे। इस तकनीकी सत्र मे राबर्ट ओमबेटी, पोल एनगवे, षिल्पा लोढ़ा, राजश्री रानावत आदि ने पत्र वाचन किया।
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