यूसीसीआई की बजट प्रतिक्रिया: टैक्स स्लैब में छूट नहीं दिया जाना निराशाजनक


यूसीसीआई की बजट प्रतिक्रिया: टैक्स स्लैब में छूट नहीं दिया जाना निराशाजनक

वित्त मंत्री श्री अरूण जेटली द्वारा प्रस्तुत केन्द्रीय बजट के संदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उदयपुर चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष हंसराज चौधरी ने कहा कि उद्योग एवं व्यवसाय जगत को इस बजट से आशाएं तो बहुत थी किन्तु सरकार द्वारा प्रस्तुत वर्तमान बजट उनको पूरा करने में सफल नहीं हो पाया है इंडिविजुअल, संयुक्त हिन्दु परिवार (HUF) , फर्म एवं कम्पनी के लिये किसी प्रकार की टैक्स स्लैब में छूट नहीं दिया जाना निराशाजनक है। इसके विपरित एज्यूकेशन सेस को 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत किया जाना तथा इसका नाम ‘‘शिक्षा एवं स्वास्थ्य उपकर’’ किया जाना भी सरकार का आर्थिक बोझ बढ़ाने वाला कदम है। कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिये सरकार द्वारा खाद्य प्रसंस्करण उद्योगो की स्थापना को विशेष प्रोत्साहन देना चाहिए था।

 
यूसीसीआई की बजट प्रतिक्रिया:  टैक्स स्लैब में छूट नहीं दिया जाना निराशाजनक

वित्त मंत्री श्री अरूण जेटली द्वारा प्रस्तुत केन्द्रीय बजट के संदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उदयपुर चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष हंसराज चौधरी ने कहा कि उद्योग एवं व्यवसाय जगत को इस बजट से आशाएं तो बहुत थी किन्तु सरकार द्वारा प्रस्तुत वर्तमान बजट उनको पूरा करने में सफल नहीं हो पाया है। हालांकि वर्तमान बजट के परिणाम तो आने वाला समय ही बतायेगा, किन्तु उद्योग और व्यापार जगत को विशेष प्रोत्साहन देकर रोजगार सृजन के उद्देश्य में यह बजट पूर्णतया सफल नहीं हो पाया है। हालांकि सरकार द्वारा युवाओं के स्किल डवलपमेंट के लिये विशेष योजना एवं बजट प्रस्तावित किया गया है किन्तु नौकरियों के अभाव में प्रशिक्षित युवा को रोजगार कहां से उपलब्ध हो पायेगा।

लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) क्षेत्र में महिला उद्यमियों को ऋण प्रदान करने में प्राथमिकता दिये जाने की सरकार की योजना की श्री चौधरी ने सराहना करते हुए कहा कि इससे महिला उद्यमियों को उद्योग एवं व्यापार के क्षेत्र में आगे आने में बढावा मिलेगा।

इंडिविजुअल, संयुक्त हिन्दु परिवार (HUF) , फर्म एवं कम्पनी के लिये किसी प्रकार की टैक्स स्लैब में छूट नहीं दिया जाना निराशाजनक है। इसके विपरित एज्यूकेशन सेस को 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत किया जाना तथा इसका नाम ‘‘शिक्षा एवं स्वास्थ्य उपकर’’ किया जाना भी सरकार का आर्थिक बोझ बढ़ाने वाला कदम है। कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिये सरकार द्वारा खाद्य प्रसंस्करण उद्योगो की स्थापना को विशेष प्रोत्साहन देना चाहिए था।

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