पहाड़ी की कोर को काटने, समतल बना देने से उदयपुर संकट में


पहाड़ी की कोर को काटने, समतल बना देने से उदयपुर संकट में

रविवार को आयोजित झील सम्वाद में झील संरक्षण समिति के सह सचिव डॉ अनिल मेहता ने कहा कि उदयपुर तश्तरी नुमा है जो पहाड़ियों की कोर से बनती है। इस पहाड़ी की कोर को  काटने, समतल बना देने से उदयपुर का पर्यावरण  संकट में है। जल् प्रवाह व्यवस्था पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है तथा भविष्य में भूकंप के खतरे भी बढ़ेंगे। झील प्रेमियो द्वारा रविवारीय श्रमदान के दौरान पिछोला के अमरकुंड व बारीघाट झील क्षेत्र से भारी मात्रा में पूजन सामग्री, नारियल, घरेलू कचरा व सड़ी गली खाद्य सामग्री और जलीय घास निकाली। श्रमदान में मानव सिंह, मोहन सिंह, रमेश चन्द्र राजपूत,  दिगम्बर सिंह कफलिया, पल्लव दत्ता, रामलाल गेहलोत, रामप्रताप जेठी, बंटी कुमावत, डॉ अनिल मेहता व नन्द किशोर शर्मा ने भाग लिया।

 
पहाड़ी की कोर को काटने, समतल बना देने से उदयपुर संकट में
रविवार को आयोजित झील सम्वाद में झील संरक्षण समिति के सह सचिव डॉ अनिल मेहता ने कहा कि उदयपुर तश्तरी नुमा है जो पहाड़ियों की कोर से बनती है। इस पहाड़ी की कोर को  काटने, समतल बना देने से उदयपुर का पर्यावरण  संकट में है। जल् प्रवाह व्यवस्था पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है तथा भविष्य में भूकंप के खतरे भी बढ़ेंगे।
झील प्राधिकरण के सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने बताया कि शहर के आसपास व उदयपुर की झीलो के जल ग्रहण क्षेत्र की इन  अरावली पहाड़ियों को काटने से  वन भी  समाप्त हो रहे हैं ।  जिससे झील व नदियों के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो गया है । अतः नगर विकास प्रन्यास उदयपुर को आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए
गांधी मानव सोसायटी के निदेशक नन्द किशोर शर्मा ने कहा की बेतरतीब काटी जा रही पहाड़िया  भविष्य में बाढ़ , सूखे  जल भराव का कारण भी बनेंगी।
संवाद से पूर्व झील प्रेमियो द्वारा रविवारीय श्रमदान के दौरान पिछोला के अमरकुंड व बारीघाट झील क्षेत्र से भारी मात्रा में पूजन सामग्री, नारियल, घरेलू कचरा व सड़ी गली खाद्य सामग्री और जलीय घास निकाली। श्रमदान में मानव सिंह, मोहन सिंह, रमेश चन्द्र राजपूत,  दिगम्बर सिंह कफलिया, पल्लव दत्ता, रामलाल गेहलोत, रामप्रताप जेठी, बंटी कुमावत, डॉ अनिल मेहता व नन्द किशोर शर्मा ने भाग लिया।

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