स्थापत्य शास्त्र के सिद्धांतों पर खरा है उदयपुर
यहां सिटी पैलेस स्थित महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन उदयपुर द्वारा गुरूवार को शहर के गाइडों के लिए उदयपुर और उसका वास्तुसम्मत नियोजन विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई।
यहां सिटी पैलेस स्थित महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन उदयपुर द्वारा गुरूवार को शहर के गाइडों के लिए उदयपुर और उसका वास्तुसम्मत नियोजन विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई।
डॉ. श्रीकृष्ण ‘जुगनू’ ने फाउण्डेशन के सभागार में आयोजित कार्यशाला में गाइडों को बताया कि मध्यकाल में जिन नगरों की बुनियाद रखी गई, उनमें उदयपुर का नाम जग विख्यात है। यह पानी की नगरी है, पहाड़ों की पुरी है। इस नगर निवेश में प्राचीन भारतीय स्थापत्यशास्त्र के मूल सिद्धांतों का पूरा ध्यान रखा गया।
सोमपुरा शिल्पी समुदाय के शिल्पीवर्य सूत्रधार मण्डन के प्रपौत्र राजा भारद्वाज ने इस नगर के निवेश में इस शिल्प निर्देश का ध्यान रखा कि राजप्रासाद के पश्चिम में जलाशय हो। पीछोला के पूर्व में महलों की नींव रखी गई। वास्तुशास्त्र कहता है कि जहां पश्चिम में जलाशय हो, वहां वैभव स्वत: सिद्ध होता है और अल्प प्रयास से निर्माण कार्य अबाध रहता है। उन्होंने उदयपुर राजधानी, वास्तुपदानुसार निवेश का कार्य, चहारदीवारी में विकास और सुरक्षा, जलस्त्रोतों की जरूरत और उनका विकास, उपबस्तियों का निवेश और उनका प्रभाव हवेलियों और उनके स्थापत्य का विकास आदि की जानकारी गाइडों को दी।
गुरूवार को आयोजित कार्यशाला में अनूप अधिकारी, अरूण, अशोक सिंह मकवाना, अशरफ खान परवेज, भंवर ङ्क्षसह राजपूत, दशरथ सिंह झाला, फतेहलाल सुखवाल, फजल मोहम्मद शेख, जैमिनी वल्लभ शास्त्री, जीवन सिंह सोलंकी, किशन दास रामानुजा, कृष्ण गोपाल शर्मा, ललित कुमार शर्मा, लक्ष्मीलाल शर्मा, मंगल चन्द शर्मा, मसीत खान परवेज, मसूद अहमद शेख, मोहम्मद हुसैन शेख, राकेश नारायण शर्मा, सरदार राम सिंह, शेख अब्दुल कलाम, सुशील कुमार जोशी, विक्रम देव पालीवाल, विशाल शर्मा, वितेश कुमार राजपूत, यतेन्द्र सिंह चौहान, योगेन्द्र सिंह राणावत, योगेन्द्र ङ्क्षसह जोधा, योगेश नारायण आमेटा, युवराज सिंह राणावत, विजय कोटिया, पंकज सिंह तक्षक, मोहम्मद जहीर, उमेश कुमार माली, गिरिराज सिंह राठौड़ ने भाग लिया।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal