यूनानी हिजामा थैरेपी कई रोगों में कारगर
यहां टाउनहाल में आयोजित मंगलवार को सम्पन्न हो रहे चारदिवसीय आरोग्य मेले में युनानी पद्दति की ‘हिजामा’ थैरेपी यहां आने वाले कई रोगियों का ध्यान आकर्षित कर रही है।
यहां टाउनहाल में आयोजित मंगलवार को सम्पन्न हो रहे चारदिवसीय आरोग्य मेले में युनानी पद्दति की ‘हिजामा’ थैरेपी यहां आने वाले कई रोगियों का ध्यान आकर्षित कर रही है।
हिजामा याने कपिगं जिसे श्रृंग थेरेपी भी कहते हैं कमर दर्द, स्लिप डिस्क, सर्वाईकल डिस्क, पैरों की सूजन, सूनापन और झनझनाहट के लिए रामबाण थैरेपी बताई जारही हैं। यह भी बताया जा रहा है कि पहले दाईयां कुल्लड़ से दर्द दूर करने का उपचार करती थी, यह विधा उसी पर आधारित है।
इस विधिका प्रयोग राजस्थान के एक मात्र यूनानी औषधालय दौसा में डॉ. शौकतअली, एम.डी. जो अलीगढ़ विश्वविद्यालय के अधिस्नातक हैं और इस पद्दति के राजस्थान के पहले निष्णात चिकित्सक हैं नियमित रूप से दौसा कि राजकीय चिकित्सालय में करते हैं।
डॉ. शौकतअली की माने तो इस पद्दति के माध्यम से सर में चक्कर आना, उठने-बैठने में चक्कर आकर गिर पड़ना, सर्वाईकल पेन,कमर के दर्द, कमर के छल्लों का खिसक जाना, उनमें गैप हो जाना एवं छललों के अन्दर गेप कम हो जाना या बढ़ जाना जिसके कारण पैरों में झनझनाहट व सूनापान होजाता है तथा आदमी लंगड़ा कर चलता है।
जोड़ों का दर्द, हड्डियों का गल जाना एवं जोड़ों के गेप होजाने के अतिरिक्त मांसपेशियों के एवं नसों से सम्बन्धित समस्त प्रकार के दर्द का उपचार इस थैरेपी द्वारा दिया जाता है जिससे नाउम्मीद मरीजों को बहुत आसानी से हंसते-खेलते बीमारी से छुट्टी मिल जाती है।
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