रेल पटरियों के क्रेक ढूंढकर दुर्घटनाओं से बचाएगा अनूठा एप
देशभर में 13 हजार ट्रेन हैं और इन पर पटरियों संबंधित दुर्घटनाओं को रोकने के लिए वर्तमान में इलेक्ट्रोनिक सर्किट से ट्रेक तैयार करने के लिए लगभग 1 लाख करोड़ रुपयों का खर्च प्रस्तावित है परंतु यदि देशभर की सभी ट्रेनों में यदि हमारे द्वारा तैयार किया गया एप और हार्डवेयर लगाया जाए तो इस पर मात्र 130 करोड़ रुपया खर्च आएगा
“देशभर में 13 हजार ट्रेन हैं और इन पर पटरियों संबंधित दुर्घटनाओं को रोकने के लिए वर्तमान में इलेक्ट्रोनिक सर्किट से ट्रेक तैयार करने के लिए लगभग 1 लाख करोड़ रुपयों का खर्च प्रस्तावित है परंतु यदि देशभर की सभी ट्रेनों में यदि हमारे द्वारा तैयार किया गया एप और हार्डवेयर लगाया जाए तो इस पर मात्र 130 करोड़ रुपया खर्च आएगा।“
यह कहना है कि उदयपुर में आयोजित हो रहे डिजिफेस्ट में आए हुए जयपुर के जेईसीआरसी कॉलेज के युवा भुवनेश प्रतापसिंह व दल का।
हेकाथॉन कॉडिंग प्रतियोगिता में अपने साथी गौरांग दाधिच, भावेश सोनी और नमन जैन के साथ “कोड अबोड” की टीम ट्रेन की पटरियों पर क्रेक खोजने वाला मॉडल तैयार कर रही है।
यह मॉडल रेडियो फ्रिकवेंसी पर काम करता है और यह पटरियों में आने वाली बाधा या दुर्घटना के अंदेशों को भापकर ट्रेन को 100 से लगाकर 500 मीटर पहले अपने-आप रोक देता है।
टीम के भुवनेश बताते हैं कि रेडियो फ्रिकवेंसी पर आधारित हार्डवेयर को आईओटी एप्लीकेशन से जोड़कर उस स्थान पर भी काम किया जा सकता है जहां पर इंटरनेट सुविधा उपलब्ध नहीं होती है।
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