नगर निगम, उदयपुर द्वारा आयोजित टाउनहॉल में चल रहे दीपावली मेले के सातवें दिन गुरुवार को कवि सम्मेलन के दौरान उस समय बखेड़ा खड़ा हाे गया जब इंदौर के कवि मुकेश मोलवा ने कविता पाठ के दौरान एक समुदाय विशेष को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी।
मोलवा ने एक समुदाय विशेष पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी। जिसके बाद मंच के ठीक सामने वीआईपी दीर्घा में मौजूद कांग्रेसी पार्षद मोहसीन खान ने विरोध दर्ज करवाते हुए मंच के पास जाकर कवि को ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करने को चेताया। इसको लेकर दोनों के बीच बहस की नौबत भी आ गई। इसी बीच निर्दलीय पार्षद नजमा मेवाफरोश और भाजपा पार्षद गरिमा पठान भी कवि के विरोध में खड़ी हो गई। देखते ही देखते मेले का माहौल गरमा गया और मंच के ठीक सामने धक्का-मुक्की की नौबत तक आ गई। मंच के सामने वीआईपी दीर्घा में बैठे लोगों पर भीड़ टूटती उससे पहले ही वे जैसे-तैसे उठकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचे। हंगामे को देख मेला स्थल पर मौजूद पुलिस हरकत में आई और विरोध कर रहे करीन खान को पकड़ कर मंच के पीछे निगम के बोर्ड बैठक कक्ष में ले जाकर बैठाया। उसके बाद फिर कवि सम्मेलन आगे बढ़ सका।
इंदौर के कवि के कविता पाठ का विरोध करने वाले कांग्रेसी पार्षद मोहसीन खान और निर्दलीय पार्षद नजमा मेवाफरोश का तर्क है कि कवि पाकिस्तान को गाली देता तो कोई बात नहीं। उसकी कई पंक्तियों पर हमने भी तालियां बजाईं। लेकिन उसने कविता पाठ के दौरान समुदाय विशेष की दाढ़ी को लेकर जो आपत्तिजनक टिप्पणी की उसपर हमारा विरोध था। एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कवि ने धार्मिक भावना को भड़काने का काम किया है।
पूर्व निर्धारित 11 कवियों की लिस्ट में इंदौर के कवि मुकेश मोलवा का नाम नहीं था। यहां तक निगम ने मेले काे लेकर जो पास (आमंत्रण) पत्र छपवाए थे उसमें भी मोलवा का नाम नहीं था। नाम नहीं होने के बाद भी बलाए गए कवि ने निगम के महीने भर की मेहनत और छह दिन के सफल कार्यक्रमों पर बट्टा लगा दिया। गनीमत यह रही कि विरोध करने वालों की संख्या कम थी वरना भीड़ के गुस्से को देखते हुए मेले में बड़ी घटना घटित हो सकती थी। मोलवा के कविता पाठ के शुरूआती रुझान से ही इस बात का आभास हो गया था कि कहीं लोग हूटिंग न कर दे लेकिन आयोजक इस बात को समझ नहीं पाई और मामला हंगामे तक बढ़ गया।
कवि सम्मेलन में कोटा के वीर रस के कवि जगदीश सोलंकी ने मां तेरी दुआ के दम से, परिंदा भी जहां पर नहीं मार सके, उस जगह जा के भी तिरंगा फहराया है….. हास्य कवि प्रकाश नागौरी, हास्य रस कवि जानी बैरागी, नैनीताल की शृंगार रस कवयित्री गौरी मिश्रा, शृंगार रस के कवि डाॅ.विष्णु सक्सेना, सुरेश अलबेला, वीर रस कवि मारूति नंदन, मधुबनी बिहार से आए हास्य कवि शंभू शिखर ने चरित्र हीन नेताओं और बाबाओं पर कविता के माध्यम से खूब कटाक्ष किए। राजकुमार बादल, राहत इंदौरी की कविता शाखों से टूट जाए वो पत्ते नहीं है हम…,आंधी से कोई कह दे कि औकात में रहे…। कवि सम्मेलन का संचालन उदयपुर के कवि वाणी गौरव गोलछा थे। व्यस्तता के कारण कवि संतोष आनंद कवि सम्मेलन में भाग लेने नहीं आ सके।