छोटी आंत से मूत्रनली का निर्माण एवं सफल प्रत्यारोपण


छोटी आंत से मूत्रनली का निर्माण एवं सफल प्रत्यारोपण

गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल के यूरोलोजिस्ट डाॅ विश्वास बाहेती व डाॅ पंकज त्रिवेदी की टीम ने लगभग 7 सेंटीमीटर लम्बे अत्यंत दुर्लभ मूत्रनली में ब्लाॅकेज को काट कर छोटी आंत के टुकड़े से पुनः 7 सेंटीमीटर मूत्रनली का निर्माण कर मूत्राशय में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया जिसमें 8 घंटें का समय लगा। चिकित्सकों ने बताया कि रोगी के पूर्व में हुई गुर्दे की पथरी की सर्जरी की जटिलता के कारण यह ब्लाॅकेज हुआ था।

 
छोटी आंत से मूत्रनली का निर्माण एवं सफल प्रत्यारोपण

गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल के यूरोलोजिस्ट डाॅ विश्वास बाहेती व डाॅ पंकज त्रिवेदी की टीम ने लगभग 7 सेंटीमीटर लम्बे अत्यंत दुर्लभ मूत्रनली में ब्लाॅकेज को काट कर छोटी आंत के टुकड़े से पुनः 7 सेंटीमीटर मूत्रनली का निर्माण कर मूत्राशय में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया जिसमें 8 घंटें का समय लगा। चिकित्सकों ने बताया कि रोगी के पूर्व में हुई गुर्दे की पथरी की सर्जरी की जटिलता के कारण यह ब्लाॅकेज हुआ था।

डाॅ बाहेती ने बताया कि भोलाराम (परिवर्तित नाम) ने एक साल पूर्व अन्य निजी हाॅस्पिटल में गुर्दे में पथरी की सर्जरी कराई थी। इस सर्जरी की जटिलता के कारण मूत्रनली के आरंभिक व अंतिम छोर पर ब्लाॅकेज हो गया और मूत्रनली सिकुड़ गई। पहला ब्लाॅकेज 7 सेंटीमीटर, वहीं दूसरा ब्लाॅकेज 2 सेंटीमीटर जितना लंबा था। इस ब्लाॅकेज के कारण रोगी का मूत्र किडनी के पास इकट्ठा हो रहा था और बाहर नहीं आ रहा था जिससे किडनी में सूजन आ गई थी। यदि इस वक्त रोगी का इलाज नहीं किया जाता तो उसकी एक किडनी खराब हो सकती थी और सारी उम्र उसे एक किडनी के साथ जीना पड़ता।

गीतांजली हाॅस्पिटल में भर्ती होने के बाद छोटी आंत से मूत्रनली का निर्माण कर मूत्राशय में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया। इस प्रक्रिया को यूरेट्रिक आईलियल यूरेटर कहते है। वहीं 2 सेंटीमीटर जितने ब्लाॅकेज को काट कर मूत्रनली को मूत्राशय से फिर से जोड़ दिया। इस प्रक्रिया को यूरेट्रिक प्रत्यारोपण कहते है। रोगी अब स्वस्थ है। इस बिमारी के अत्यंत दुर्लभता के कारण बहुत ही कम लोगों में यह पाई जाती है जिसका इलाज काफी जटिल होता है।

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