उस्ताद अहमद हुसैन मोहम्मद हुसैन ने समां बाँधा
एकेडमी और पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर के तत्वावधान में शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में 2 नवम्बर को “शाम ए ग़ज़ल “ प्रोग्राम रखा गया जिसमे शहरवासियों ने ग़ज़ल की दुनिया के प्रख्यात कलाकार उस्ताद अहमद हुसैन मोहम्मद हुसैन ने एक से बढ़कर एक ग़ज़ल पेश कर समां बांध दिया
एकेडमी और पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर के तत्वावधान में शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में 2 नवम्बर को “शाम ए ग़ज़ल “ प्रोग्राम रखा गया जिसमे शहरवासियों ने ग़ज़ल की दुनिया के प्रख्यात कलाकार उस्ताद अहमद हुसैन मोहम्मद हुसैन ने एक से बढ़कर एक ग़ज़ल पेश कर समां बांध दिया
“मैं हवा हूँ कहाँ वतन मेरा”, “चल मेरे साथ ही चल”, :दो जवान दिलो का दर्द”, ” मौसम आएंगे जायेंगे , हम तुमको बहुत याद आएंगे “, “नज़र मुझसे मिलाते हो तो शरमा जाते हो “, “आया तेरे दर पर दीवाना” (वीर ज़ारा ) , जैसी कई ख़ूबसूरत ग़ज़लों को अपनी मखमली आवाज़ से सुरों का जादू बिखेरने वाले उस्ताद अहमद हुसैन और मोहम्मद हुसैन ने ग़ज़ल प्रेमियो का दिल जीत लिया।
उस्ताद अहमद हुसैन और मोहम्मद हुसैन राजस्थान के जयपुर से दो भाई हैं जो क्लासिकी ग़ज़ल गायकी करते हैं। उनके वालिद साहिब का नाम उस्ताद अफ़्ज़ल हुसैन है जो ग़ज़ल और ठुमरी के उस्ताद माने जाते थे। इस जोड़ी ने ग़ज़ल गायकी की दुनिया में अपना एक खास मुकाम हासिल किया हुआ है। 1980 में इस जोड़ी की पहली एलबम “गुलदस्ता” रिलीज़ हुई थी जो काफी हिट रही थी। अब तक दोनों भाइयों के 65 एलबम बाजार में आ चुके है।
अब तक यह बेमिसाल जोड़ी बेगम अख्तर अवार्ड (नई दिल्ली), मिर्ज़ा ग़ालिब अवार्ड (उत्तर प्रदेश), अपना उत्सव अवार्ड (महाराष्ट्र), राजस्थान संगीत नाटक अकेडमी अवार्ड एवं राजस्थान सरकार स्टेट अवार्ड हासिल कर चुकी है।
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