सामाजिक बदलाव की प्रतीक थी विजया मां – डॉ. राजौरा


सामाजिक बदलाव की प्रतीक थी विजया मां – डॉ. राजौरा

जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संगठक जनशिक्षण एवं विस्तार कार्यक्रम निदेशालय के अन्तर्गत संचालित बेदला स्थित कुल मातुश्री विजया मां मंगल भारती केन्द्र पर स्वतंत्रता सेनानी विजया मां की जयंति मनाई गई।

 

सामाजिक बदलाव की प्रतीक थी विजया मां – डॉ. राजौरा

जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संगठक जनशिक्षण एवं विस्तार कार्यक्रम निदेशालय के अन्तर्गत संचालित बेदला स्थित कुल मातुश्री विजया मां मंगल भारती केन्द्र पर स्वतंत्रता सेनानी विजया मां की जयंति मनाई गई।

केन्द्र के प्रभारी डॉ. धमेन्द्र राजोरा ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी, धर्मपरायण कुल मातुश्री विजया मां करूणामय, ममता और वात्सल्य की वह प्रतिमूर्ति थी जिन्होने संस्थापक पं.जनार्दनराय नागर को प्रेरित कर मेवाड़ धरा पर शिक्षा का दीप प्रज्वलित किया, जो आज राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के रूप में अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिनाम विश्वविद्यालय बन गया है।

उन्होने कहा कि संस्थापक जनुभाई ने विजया मां की प्रेरणा से सुदूर ग्रामीण अंचल में शिक्षा की अलख जगाई थी। इस अवसर विजया मां की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उनको नमन किया गया व बेदला परिसर में पौधारोपण किया गया। इस अवसर पर मरजीना बानू, सुगना मीणा, निर्मला श्रीमाली, रेशमा वर्मा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, बेदला गांव के ग्रामीणजन उपस्थित थे।

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