मतदान अनिवार्य हो, अपराधी को टिकट नहीं मिलें – डामोर
“विधानसभा चुनाव में मतदान करना अनिवार्य कर दिया जाए, साथ ही अपराधी को टिकट नहीं मिले ऐसी व्यवस्था हो। चुनाव में काले धन का प्रयोग नहीं हो ऐसी सावधानी भी बरतनी होगी”। - यह कहना है राजीव गांधी जनजाति विश्वविद्यालय के वीसी टीसी डामोर का। अवसर था, राजस्थान विद्यापीठ के श्रमजीवी महाविद्यालय के राजनीति एवं लोकप्रशासन विभाग द्वारा भारत में लोकतंत्र व निर्वाचन सुधार पर आयोजित परिचर्चा का।
“विधानसभा चुनाव में मतदान करना अनिवार्य कर दिया जाए, साथ ही अपराधी को टिकट नहीं मिले ऐसी व्यवस्था हो। चुनाव में काले धन का प्रयोग नहीं हो ऐसी सावधानी भी बरतनी होगी”। – यह कहना है राजीव गांधी जनजाति विश्वविद्यालय के वीसी टीसी डामोर का। अवसर था, राजस्थान विद्यापीठ के श्रमजीवी महाविद्यालय के राजनीति एवं लोकप्रशासन विभाग द्वारा भारत में लोकतंत्र व निर्वाचन सुधार पर आयोजित परिचर्चा का।
डामोर ने कहा कि बिना पुलिस के चुनाव करवाने की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। चाहे सरपंच के चुनाव हो या पार्षद आदि के। इस अवसर पर विद्यापीठ के कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने निर्वाचन तंत्र को चुस्त बनाने के लिए संविधान में संशोधन होने चाहिए। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति एक स्थान से ही चुनाव लड़े तथा पंचायत से लेकर संसद तक होने वाले चुनाव एक ही साथ हो, ताकि इससे काफी हद तक धन बचाया जा सकता है।
परिचर्चा में प्रो. एसके कटारिया ने कहा कि देखा जाए तो समाज को भी ईमानदार नेता नहीं चाहिए। यदि कोई ईमानदार व्यक्ति चुनाव में उतर गया तो उसे हार का मुंह देखना पड़ता है। इधर, सरकार ने जो सूचना का अधिकार और लोक सेवा गारंटी योजना आदि लागू की है, उसका प्रभावी रूप देखने में कम से कम दस से पंद्रह वर्षोँ का समय लगेगा।
इस अवसर पर प्रो. आरपी जोशी, प्रो. एसके मिश्रा, डॉ. पीके पंजाबी, डॉ. सुमन पामेचा, प्रो. बीएल फडिय़ा ने भी विचार रखे। संचालन वर्षा पारगी ने किया। धन्यवाद धीरज प्रकाश जोशी ने ज्ञापित किया।
आए अन्य प्रमुख सुझाव
निर्वाचन याचिकाओं पर शीघ्र निर्णय हो, रिकॉल का अधिकार दिया जाए, मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा अन्य निर्वाचन आयुक्तों का चयन एक उच्च स्तरीय समिति करे, इसमें प्रधानमंत्री के साथ प्रतिपक्ष के नेता व मुख्य न्यायाधीश भी सदस्य हो।
दागियों को राजनीति से विदा करने के लिए विद्यमान कानूनों को सशक्त बनाया जाए, जाली मतदान रोके जाए तथा पेड न्यूज पर कड़ा नियंत्रण होना जरुरी है।
जनता को जागरुक किया जाए कि राजनीतिक दल जाति व संप्रदायवाद का जहर न घोल सके।
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