झीलों में कचरे , गन्दगी की विविधता से जलीय जैव विविधता संकट में


झीलों में कचरे , गन्दगी की विविधता से जलीय जैव विविधता संकट में

सम्पूर्ण राजस्थान की झीलों में कचरे , गन्दगी की विविधता से जलीय जैव विविधता संकट में है। यह चिंता रविवार को झील मित्र संस्थान,झील संरक्षण समिति एवं डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल के सयुंक्त तत्वावधान में आयोजित संवाद में उभरी।

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झीलों में कचरे , गन्दगी की विविधता से जलीय जैव विविधता संकट में

सम्पूर्ण राजस्थान की झीलों में कचरे , गन्दगी की विविधता से जलीय जैव विविधता संकट में है। यह चिंता रविवार को झील मित्र संस्थान,झील संरक्षण समिति एवं डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल के सयुंक्त तत्वावधान में आयोजित संवाद में उभरी।

झील विशेषज्ञ डॉ अनिल मेहता ने कहा कि मानवीय गतिविधिया झीलों में विविध प्रकार के कचरे का विसर्जन कर रही है। वही झीलों को एम डब्लू एल से ऍफ़ टी एल पर सिकुड़ देने से जैव विविधता बनाये रखने में मददगार झील किनारे व समीपवर्ती का महत्वपूर्ण इको ज़ोन समाप्त हो रहा है।

झील मित्र संस्थान के तेज शंकर पालीवाल ने कहा क़ि डिवीडिंग मशीन के ऑपरेटर को झीलों की जलीय घासों को वैज्ञानिक तरीके से निकालने का प्रशिक्षण देना जरुरी है। आवश्यक होने पर मशीन में सुधार भी जरुरी है। मशीन से कुछ घास कट कर पुनः पानी में बिखर रही है एवं ज्यादा तीव्रता से फ़ैल रही है।

डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के सचिव नन्द किशोर शर्मा ने कहा कि झीलों में अभी भी डीजल संचालित नाँवो का संचालन हो रहा है। इससे झील की सतह पर तेल की परत बन जाती है। यह परत झील में सूर्य के प्रकाश व् हवा के प्रवाह को रोकती है। इससे झीलों का जी उसी तरह मचलता है जैसे हवा व प्रकाश की अनुपस्थिति से इंसानो का।

संवाद पूर्व झील मित्र संस्थान,झील संरक्षण समिति एवं डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल के साँझें में आयोजित पिछोला में श्रमदान कर जलीय घास ,घरेलु वस्तुए, बदबू युक्त खाद्य पदार्थ , सड़े मांसके टुकड़े , पुराने कपडे ,पोलिथिन आदि निकाले। श्रमदान में मोहन सिंह चौहान, अम्बालाल, रामलाल गेहलोत, लेखराज लक्की ,दीपेश स्वर्णकार,बी एल पालीवाल, दुर्गा शंकर, अजय सोनी, तेज शंकर पालीवाल, अनिल मेहता व नन्द किशोर शर्मा ने भाग लिया।

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