पैंथर को हम रख सकते है सुरक्षित
इस समस्या से निजात दिलाने के लिए जिलाधीश कार्यालय से सेवानिवृत हाजी सरदार मोहम्मद ने जन-जागरूकता के उद्देश्य से एक मॉडल बना कर यह समझाने का प्रयास किया है कि यदि जंगल मं प्राकृतिक खाद्य श्रृंखला अधिक मात्रा में मौजूद है तो पैंथर, सांभर, हिरण आदि खाकर भूख शांत कर सकते है। वे कभी बस्ती क्षैत्र में प्रवेश नहीं करेंगें। मॉडल में उन्होने एक आबाद जंगल बनाया है जिसमें पानी की एक तलैया भी दर्शयी गई है। पहाड़ों में पैंथर के रहने के लिए प्राकृतिक गुफाए भी है। इस आबाद जंगल में पर्याप्त संख्या में हिरन, सांभर, खरगोश आदि वन्य जीवों को विचरण करते हुए दर्शाया गया है। जंगल में प्राकृतिक रूप से भोजन उपलब्ध होने से पैंथर अपनी भूख शांत कर अपनी कन्दराओं में लौट जायेगा।
इन दिनों हम समाचार पत्रों में लगातार पढ रहे है कि पैंथर बस्ती क्षैत्र से बच्ची को उठा ले गया, बच्चे को उठा ले गया, खेत में काम कर रही महिला पर हमला कर घायल कर दिया। इसी तरह पैंथर द्वारा बाड़े से पशुओ को भी अपना शिकार बनाने की खबरें हमें मिलती रहती है।
इन सभी के लिए पैंथर को दोषी माना जाता है और कभी-कभी इंसान हिंसक हो कर उस निरीह वन्यजीव की हत्या भी कर देता है। जबकि वास्तविक रूप से इस मूक वन्यजीव पर लांछन लगाने वाला मनुष्य ही इसका जिम्मेदार है, क्योकि मानव द्वारा ही वन्यजीवों के शरण स्थल वनों को विकास के नाम पर बे-रेहमी से काटा जा रहा है। जंगलों को उजाड़ कर आलीशान फार्म हाउस-रिसोर्ट आदि बना कर पैंथर और अन्य वन्यजीवों को उनके ही घर से बेदखल कर दिया गया है। इस प्रकार यह जीव भोजन को तरस गए है। इंसान को अपने लिए सुबह-शाम भोजन की जरूरत पड़ती है तो यह विशालकाय जीव दो दिन में एक बार तो भोजन की अपेक्षा कर सकता है लेकिन वह भी इन्हें नसीब नहीं हो रहा। यही मुख्य कारण है कि है कि पैंथर अपने लिए भोजन की तलाश मे आबादी क्षैत्र में प्रवेश कर रहे है और उस तलाश में जो उन्हे दिखा उसको शिकार बना रहे है।
इस समस्या से निजात दिलाने के लिए जिलाधीश कार्यालय से सेवानिवृत हाजी सरदार मोहम्मद ने जन-जागरूकता के उद्देश्य से एक मॉडल बना कर यह समझाने का प्रयास किया है कि यदि जंगल मं प्राकृतिक खाद्य श्रृंखला अधिक मात्रा में मौजूद है तो पैंथर, सांभर, हिरण आदि खाकर भूख शांत कर सकते है। वे कभी बस्ती क्षैत्र में प्रवेश नहीं करेंगें। मॉडल में उन्होने एक आबाद जंगल बनाया है जिसमें पानी की एक तलैया भी दर्शयी गई है। पहाड़ों में पैंथर के रहने के लिए प्राकृतिक गुफाए भी है। इस आबाद जंगल में पर्याप्त संख्या में हिरन, सांभर, खरगोश आदि वन्य जीवों को विचरण करते हुए दर्शाया गया है। जंगल में प्राकृतिक रूप से भोजन उपलब्ध होने से पैंथर अपनी भूख शांत कर अपनी कन्दराओं में लौट जायेगा।
मॉडल में आबाद एवं संरक्षित जंगल के पास एक गांव भी दर्शाया गया है। गांव में खेत, पालतु पशु के साथ-साथ एक स्कूल भी दिखाई गई है जहां बच्चे निश्चिन्त हो खेल रहे है। यह सब इस बात का प्रतीक है कि यदि पैंथर को भोजन और पानी जंगल में ही उपलब्ध करवा दिया जाये तो वह कभी बस्ती क्षैत्र की ओर नहीं आयेगा। पैंथर को उसकी बुनियादि जरूरते जंगल में ही उपलब्ध हो जाती है तो वह क्यों बस्ती क्षैत्र की ओर अपना रूख करेगा। इनके खाने के लिए हिरण, सांभर, खरगोश आदि जानवरो की संख्या बढ़ाने के समुचित प्रयास किये जाने चाहिये। इस प्रकार जंगल से सटा एक गांव भी सुरक्षित हो जायेगा। मॉडल में यह भी समझाने का प्रयास किया गया है कि केवल मानव ही नही वन्यजीव भी अपने क्षैत्र में किसी अन्य का दखल पसंद नहीं करते है। इसके लिए मॉडल में जंगल में बने एक मकान को नाराज हाथियों द्वारा तोड़ा जा रहा है। यह मानव के लिए स्पष्ट संकेत है कि मूक पशु भी अपने क्षैत्र व निजता में किसी का हस्तक्षेप पसंद नहीं करते।
पर्यावरण प्रेमी हाजी सरदार मोहम्मद वर्षो से उदयपुर शहर की झाीलों को स्वच्छ रखने हेतु श्रमदान के साथ साथ जन जागरूकता के भी प्रयास में वर्षो से संलग्न रहे है। इन्होंने एक झाील हितैषी मंच का गठन कर रखा है जिसमें हर धर्म एवं सम्प्रदाय के लोग जुड़े है तथा झीलों की नैसर्गिंक सौन्दर्य को बनाये रखने के लिये अनवरत रूप से अपने श्रमदान के माध्यम से जुटे हुए है। पर्यावरण प्रेमी हाजी सरदार मोहम्मद का प्रयास है कि जिला प्रशासन एवं राज्य सरकार यदि जंगली जानवरों के लिए जंगलों को आबाद करदे तो यह कभी बस्ती क्षैत्र में प्रवेश नहीं करेंगें और मानव के साथ यह मूक प्राणी भी जीवित रह कर अपने नैसर्गिक जीवन का आनन्द ले सकेंगें।
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