उदयपुर। वूमन इण्डियन चेम्बर ऑफकॉमर्स एण्ड इन्डस्ट्रीज की ओर से घरेलू हिंसा पर वर्चुअल वेबिनार आयोजित की गई। वेबिनार की मुख्य वक्ता मोसुविवि की निवर्तमान छात्र कल्याण अधिकारी एवं मनोवैज्ञानिक डॉ. विजयलक्ष्मी चौहान थी।
उन्होंने कहा कि घरेलू हिंसा दुनिया के लगभग हर समाज में मौजूद है। इस शब्द को विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है, जिनमें पति या पत्नी, बच्चों या बुजुर्गों के खिलाफ हिंसा के कुछ उदाहरण प्रत्यक्ष रूप से सामने हैं। पीड़ित के खिलाफ हमलावर द्वारा अपनाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में शारीरिक शोषण, भावनात्मक शोषण, मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार या वंचितता, आर्थिक शोषण, गाली-गलौज, ताना मारना आदि शामिल हैं। घरेलू हिंसा न केवल विकासशील या अल्प विकसित देशों की समस्या है बल्कि यह विकसित देशों में भी बहुत प्रचलित है। घरेलू हिंसा हमारे छद्म सभ्य समाज का प्रतिबिंब है।
इस अवसर पर वरिष्ठ समाजशास्त्री और राजकीय कन्या महाविद्यालय नाथद्वारा की सह आचार्य डॉ. विनीता लवानिया ने परिवार या निकट सम्बन्धियों द्वारा ही इस काम को अंजाम देने पर चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि सभ्य समाज में हिंसा का कोई स्थान नहीं है लेकिन प्रत्येक वर्ष घरेलू हिंसा के जितने मामले सामने आते हैं, वे एक चिंतनीय स्थिति को रेखांकित करते हैं। हमारे देश में घरों के बंद दरवाज़ों के पीछे लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है। यह कार्य ग्रामीण क्षेत्रों, कस्बों, शहरों और महानगरों में भी हो रहा है। घरेलू हिंसा सभी सामाजिक वर्गों, लिंग, नस्ल और आयु समूहों को पार कर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के लिये एक विरासत बनती जा रही है।
वेबिनार में बोलते हुए कहा कि विक्की की राज्य उपाध्यक्ष एवं महाराणा प्रताप कृषि विवि के मानव विकास एवम पारिवारिक अध्ध्य्यन विभाग, सामुदायिक एवम व्यावहारिक महाविद्यालय की विभागाध्यक्ष डॉ. गायत्री तिवारी ने डोमेस्टिक शब्द का विस्तारपूर्वक वर्णन करते हुए डी से डोमिनेशन, ओ से आउट स्पोकन, एम से मेन्टल ब्लॉक, ई से एनवी या ईर्ष्या, एस से शक, टी से टेम्परामेंट, आई से इंटर पर्सनल रिलेशन और सी से करैक्टर को महिला के प्रति हिंसा के अहम् कारण बतायें।
प्रतिभागियों में कनाडा की डॉ.राजबाला पंड्या, स्पेशल एडुकेटर, जयपुर की कामिनी भारद्वाज (मॉडरेटर एवम इमेज कंसल्टेंट) ने स्थिति से निपटने में परवरिश, व्यक्तित्व विकास, हिम्मत की भूमिका बताते हुए इस दिशा में आह्वाहन किया कि प्रताड़ित महिलाओं के लिए ना सिर्फ पॉलिसी/ प्रोग्राम ही बनाए जाएं, अपितु समानुभूति की भावना के साथ उन्हें सामाजिक स्वीकार्यता प्रदान करते हुए उनके सुरक्षित भविष्य की सुनिश्चितता भी तय की जाए।
वेबिनार का समापन गुड़गांव की डॉ.ऋतु की अचार शीर्षक कविता से किया गया। इस अवसर पर विक्की की उदयपुर समेत अजमेर, जयपुर, जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर और कोटा की सदस्यों ने सक्रियता से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। प्रारम्भ में डॉ. सीमा मालिक ने सभी का स्वागत करते हुए इस प्रकार के चैम्बर्स को महिला विकास की दृष्टी से प्रासंगिक बताया।
विक्की की प्रदेशाध्यक्ष डॉ मंजीत कौर बंसल ने बताया कि विश्व की महानतम अर्थव्यवस्था में अग्रणी भारत की महिलाओं की दशा और दिशा दोनों में अभूतपूर्व परिवर्तन की सम्भावना है। उन्होंने बताया कि ऑल लेडीज लीग और वुमन इकोनॉमिक फोरम के अनुभव के आधार पर महिलाओं के इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की दिल्ली मुख्यालय में इसकी स्थापना की गई। विश्व के 120 देशों में विक्की के ढाई लाख से अधिक सदस्य है। विशेषज्ञों का परिचय डॉ. लक्ष्मी झाला, डॉ दीपाली धवन और सुश्री रिंकू आर्य ने दिया।
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