झीलो में खरपतवार, गंदगी, बदबू व् जलस्तर में कमी चिंता जनक
झीलों में विगत दिनों तेजी से जल स्तर कम हुआ हैं, वंही जलीय खरपतवारों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। कई जगह किनारों पर कचरे, गन्दगी तथा मानव व् पशु मल के विसर्जन से सड़ान्ध व् बदबू व्याप्त है। झीलों की ऐसी स्थिति पर रविवार को झील प्रेमियों ने चिंता व्यक्त की। डॉ अनिल मेहता […]
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झीलों में विगत दिनों तेजी से जल स्तर कम हुआ हैं, वंही जलीय खरपतवारों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। कई जगह किनारों पर कचरे, गन्दगी तथा मानव व् पशु मल के विसर्जन से सड़ान्ध व् बदबू व्याप्त है। झीलों की ऐसी स्थिति पर रविवार को झील प्रेमियों ने चिंता व्यक्त की।
डॉ अनिल मेहता ने कहा कि झीलों की किनारों व् नीचे के क्षेत्रों में व्यावसायिक इकाइयों द्वारा भारी भूजल दोहन का सीधा असर झीलों के जलस्तर पर पड़ रहा है। वंही, गंदगी विसर्जन से किनारों के पानी में कीचड़ है जो सीधा ऑक्सीजन में कमी का संकेत है।
झील प्राधिकरण के सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि जलीय घासों का फैलाव इतना जबरदस्त है कि किसी तैराक का पांव भी इसमें फंस जाये तो वो जीवित नहीं लौट सकता। इन घासों को हटाने में डीवीडिंग मशीन प्रभावी साबित नहीं हुई है। इन घासों के नियंत्रण के लिए कार्प मछलियों को छोड़ना जरुरी है ताकि वे जलीय खरपतवार घासों को खाकर प्रभावी खरपतवार नियंत्रण कर सके।
नन्द किशोर शर्मा ने कहा कि इन झीलों में मछली के ठेके बंद कर देने चाहिए ताकि मछलियों की तादाद बढे और झीले स्वच्छ रह सके। स्वरुप सागर झरिया दिवार व् फतेहसागर बांध के दौ सो मीटर डाउन स्ट्रीम में समस्त नलकूप बंद करना भी अत्यंत जरूरी है। इस अवसर पर पिछोला पर आयोजित श्रमदान में झील क्षेत्र से भारी मात्रा में जलीय घास,पॉलीथिन,प्लास्टिक और अवांछित कूड़ा करकट बाहर निकाला गया। झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति व गांधी मानव कल्याण सोसायटी द्वारा आयोजित श्रमदान में रमेश चन्द्र राजपूत, डॉ,पल्लव दत्ता, दिगम्बर सिंह, मोहन सिंह चौहान, दीपेश स्वर्णकार, तेज शंकर पालीवाल, नन्द किशोर शर्मा एवं डॉ अनिल मेहता ने भाग लिया ।
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