मानव जीवन की रक्षा करने वाले वेटलैंड स्त्रोत स्वयं आपदा ग्रस्त
छोटे तालाब, झीलें जैसे वेटलैंड आपदा नियंत्रण एवं आपदाओं से होने वाले नुकसानों को कम करते हैं, लेकिन मानव जीवन की रक्षा करने वाले वेटलैंड स्त्रोत स्वयं आपदा ग्रस्त है। उदयपुर सहित पूरे देश में झीलें -तालाब संकट ग्रस्त है। छोटे तालाब बाढ़ नियंत्रण एवं अकाल, दोनों की तीव्रता कम करते, वातावरण का अनूकूलन करते हैं अतः इन्हें बचाना बहुत जरूरी है।
छोटे तालाब, झीलें जैसे वेटलैंड आपदा नियंत्रण एवं आपदाओं से होने वाले नुकसानों को कम करते हैं, लेकिन मानव जीवन की रक्षा करने वाले वेटलैंड स्त्रोत स्वयं आपदा ग्रस्त है। उदयपुर सहित पूरे देश में झीलें -तालाब संकट ग्रस्त है। छोटे तालाब बाढ़ नियंत्रण एवं अकाल, दोनों की तीव्रता कम करते, वातावरण का अनूकूलन करते हैं अतः इन्हें बचाना बहुत जरूरी है। यह विचार डॉ अनिल मेहता ने विश्व नमभूमि दिवस (वर्ल्ड वेटलैंड डे ) पर डॉ मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट, झील संरक्षण समिति, झील मित्र संस्थान के तत्वावधान में ट्रस्ट परिसर में आयोजित परिचर्चा में व्यक्त किये। झील प्राधिकरण के सदस्य तेज शंकर पालीवाल केंद्रीय बज़ट में पांच लाख तालाब बनाने की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि मौजूदा तालाबों को बचाना भी बहुत आवश्यक है। प्रदुषण व् अतिक्रमण से तालाबों के अस्तित्व पर खतरा है। गांधीवादी सुशील दशोरा ने कहा कि फ़्लोरा व् फोना, वनस्पति एवं जीव जगत का आधार झीलें -तालाब है तथा ये ही इको सिस्टम को संचालित करते है। इनका मिटना बर्बादी की और बढ़ना है।
ट्रस्ट सचिव नन्द किशोर शर्मा ने कहा कि स्थानीय झीलों, तालाबों और इनके जलग्रहण क्षेत्र की पहाड़ियों को बचाने से ही उदयपुर और गिरवा घाटी बचेंगे। छोटे तालाब भूजल पुनर्भरण के माध्यम होकर पेयजल की उपलब्धता बना कर रखते हैं। चर्चा में नितेश सिंह सहित अन्य नागरिकों ने भी विचार रखे।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal