झीलों की नगरी में ‘सफेद शनिदेव’
"सूर्यपुत्र शनिदेव अगर पक्षरहित होकर पाप कर्म की सजा देते हैं तो उत्तम कर्म करने वाले मनुष्य को हर प्रकार की सुख सुविधा एवं वैभव भी प्रदान करते हैं। शनि देव की जो मन लगा कर भक्ति करते हैं वह पाप की ओर जाने से बच जाते हैं जिससे शनि की दशा आने पर उन्हें कष्ट नहीं भोगना पड़ता।"
“सूर्यपुत्र शनिदेव अगर पक्षरहित होकर पाप कर्म की सजा देते हैं तो उत्तम कर्म करने वाले मनुष्य को हर प्रकार की सुख सुविधा एवं वैभव भी प्रदान करते हैं। शनि देव की जो मन लगा कर भक्ति करते हैं वह पाप की ओर जाने से बच जाते हैं जिससे शनि की दशा आने पर उन्हें कष्ट नहीं भोगना पड़ता।”
हमारे शहर, उदयपुर के हाथीपोल स्थित शनि देव अपनी अनूठी प्रतिमा के लिए विश्व विख्यात है। इस शनिदेव के मंदिर में शनिदेव अपने पिता सूर्यदेव को निगले की मुद्रा में भक्तों को दर्शन देने के कारण लाखों लोगों की आस्था का केंद्र बने हुए हैं, जहाँ रोजाना सैकड़ों लोग शनि देव की पूजा कर अपने आप को धन्य महसूस करते हैं।
हाथीपोल स्थित शनिदेव का यह मंदिर करीब 90 साल पुराना है। इस मंदिर के निर्माण के लिए तत्कालीन महाराणा फतेहसिंह ने जमीन उपलब्ध करवाई थी। मंदिर में स्थापित प्रतिमा का जितना बखान किया जाए उतना कम है, शनि की दृष्टी से भक्त भयभीत रहते हैं; मंदिर का निर्माण इस सोच के साथ करवाया गया की यहाँ आने वाले किसी भी भक्त के उपर शनि की सीधी दृष्टी नहीं पड़े इसलिए इस मूर्ति में शनिदेव की दोनों आंखे साइड में है। हाथी पर विराजित शनि ने नरसिंह रूप धारण किये हुए है, शनि की इस प्रतिमा की खासियत है कि, यह प्रतिमा भगवान सूर्य को निगलते हुए है।
दरअसल भगवान सूर्य शनि के पिता थे लेकिन जब शनि की साढ़े साती सूर्य पर हुई तो उन्होंने अपने पिता को भी नहीं बक्शा और उन्हें भी निगलने की कोशिश की लेकिन अन्य देवताओ द्वारा विनती करने के बाद उन्होंने सूर्य को छोड़ा।
शनि की दृष्टी हमेशा कोप वाली नहीं होती है, लेकिन फिर भी इस मंदिर की शनि प्रतिमा के मुख को आकाश की और देखते हुए बनाया गया है, ताकि शनि की सीधी नजर अपने भक्तो पर नहीं पड़े।
शहर का यह शनि मन्दिर इस लिए भी देश के अन्य शनि मंदिर से भिन्न और अनूठा माना जाता है, क्योंकि देश के अन्य मंदिरों में शनि की प्रतिमा काले रंग की होती है, लेकिन यहाँ प्रतिमा को चांदी का श्रृंगार करा जाता है, साथ ही इस प्रतिमा पर तेल सीधा नहीं चढ़ाया जाता है, मंदिर में शनि को तेल चढाने के लिए शनि की एक अष्ट धातु की प्रतिमा मंदिर में विराजित है, इसी पर भक्त तेल चढ़ाते हैं। मंदिर में ब्राह्मण समाज के भ्रगुवंशी कुल के पुजारी पूजा करते हैं।
पुजारी प्रेमलाल जोशी ने बताया की शनि देव के इस अनूठे मंदिर में दूर दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुँचते हैं और दर्शन का लाभ लेते हैं; तो वहीँ शनिदेव भी मंदिर में आने वाले अपने भक्तो को कभी निराश नहीं करते है।
इस मंदिर से जुडी पौराणिक मान्यता है की, शनिदेव के सामने भक्त किसी भी तरह का कष्ट बांटता है तो शनिदेव उसके सारे दु:खों का निवारण कर देते हैं। शनि के प्रति लोगों में ख़ौफ़ की बना हुआ रहता है, लेकिन इस अदभुत मंदिर में आने वाला हर श्रद्धालु बिना भय के यहाँ आते हैं, और भगवान शनि को प्रसन्न कर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण कर उनका गुणगान करते हैं।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal