अहिंसा पुजारी जैनों के यहां कन्या भ्रुण हत्या का महापाप क्यो? – उदयमुनि


अहिंसा पुजारी जैनों के यहां कन्या भ्रुण हत्या का महापाप क्यो? – उदयमुनि

प्रज्ञामहर्षी उदयमुनि ने वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान, सेक्टर 4, धर्मसभा को संबोधित करते हुये कहा कि कितनी विचित्रता है कि एकेन्द्रिय जीवों की रक्षा के लिए तो हरी और जमीकंद का त्याग करते हो और मनुष्य (भू्रण कन्या) की हत्या करते हो। अन्य की तुलना में जैन समाज में लडकियों का अनुपात अधिक घट रहा है।

 

प्रज्ञामहर्षी उदयमुनि ने वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान, सेक्टर 4, धर्मसभा को संबोधित करते हुये कहा कि कितनी विचित्रता है कि एकेन्द्रिय जीवों की रक्षा के लिए तो हरी और जमीकंद का त्याग करते हो और मनुष्य (भू्रण कन्या) की हत्या करते हो। अन्य की तुलना में जैन समाज में लडकियों का अनुपात अधिक घट रहा है।

अहिंसा के अवतार महावीर की जय बोलते हो और कन्याओं को गर्भ में ही मार डालते हो। सीधे सातवीं नारकी का बंध होता है दुख वियाक सूत्र में सात कुण्यसनों के सेवन से नरक गति का बंध और अनन्त चतुर्गति का भ्रमण बढ़ जाता हे परन्तु मद्य मंत्स का सेवन भी बढता जा रहा है-जैनियों में। विशेषतः नइ पीढी। नई उंची पढाई और करोडों के धन ने नास्तिकता बढा दी है। भगवान महावीर के अटल वैज्ञानिक आस्तिक धर्म को नई पीढी अन्धानुकरण मानने लगी है। शराब से पूरी द्वारिका नगरी और यादव कुल का नाश हो गया, ऐसा शास्त्र वायनका क्या लाभ लिया? सोचों, रूकों, रोको घौर हिंसा को और सप्रकुण्यसन से बचों, बचाओं अपनी सन्तानों को।

शीत उष्ण गुण पुद्गल है। शरीर जब ठंडा गरम होता है तो क्यों हायतौबा मचाते हो? शीत उष्ण के कारण सुख और दुख का अनुभव भी पुद्गल से अत्यन्त अभिन्न और जीव से अत्यन्त भिन्न है। अनुभव तो आत्मा ही करता है परन्तु पुद्गल के निमित से हो रहा है, वह पौद्गलिक अनुभव है। कर्म बांधते हो। उसके स्थान पर स्वात्मा के शाश्वत सुख में, स्वाश्रित सुख में लीन हो जाओं तो अनन्त अपूर्व आत्मानंद की प्राप्ति होगी।

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal

Tags