जनजाति क्षेत्र के विकास का समान मॉडल देशभर में लागू करेंगे – केन्द्रीय जनजाति मामलात मंत्री
केन्द्रीय जनजाति मामलात मंत्री जुआल ओरम ने कहा कि पूरे देश में समग्र जनजाति विकास का समान मॉडल सभी प्रदेशों में लागू किया जायेगा। केन्द्रीय मंत्री श्री ओराम बुधवार को टीआरआई सभागार में आयोजित उदयपुर के जनप्रतिनिधियों की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
केन्द्रीय जनजाति मामलात मंत्री जुआल ओरम ने कहा कि पूरे देश में समग्र जनजाति विकास का समान मॉडल सभी प्रदेशों में लागू किया जायेगा। केन्द्रीय मंत्री श्री ओराम बुधवार को टीआरआई सभागार में आयोजित उदयपुर के जनप्रतिनिधियों की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि जनजाति क्षेत्रों के लिए स्वीकृत बजट का उपयोग आमजन को मिलने वाली सुविधाओं के लिए समयबद्ध एवं प्रभावी निगरानी के साथ हो इसके लिए इंटीग्रेटेड ट्रायबल डवलपमेंट एजेन्सी (आईटीडीए) की व्यवस्था देशभर में होनी चाहिए। इसके लिए सभी जनप्रतिनिधियों एवं प्रदेश की सरकारों से समन्वय स्थापित कर योजना को मूर्त रूप दिया जायेगा।
उन्होंने कहा कि राजस्थान प्रदेश में अन्य राज्यों की तर्ज पर जनजाति परामर्शदात्री समिति का अध्यक्ष मुख्यमंत्री को बनाने के निर्णय के लिए वे स्वयं मुख्यमंत्री से चर्चा कर निर्णय लेंगे। उन्होंने कहा कि जनजाति क्षेत्रों को शुद्ध पेयजल, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, छात्रावास, कृषि एवं सिंचाई के पर्याप्त संसाधनों की समुपलब्धता की दिशा में केन्द्र सरकार समान नीति तय करने जा रही है, इससे सभी राज्यों में विकास के बेहतर आयाम स्थापित होंगे। उन्होंने कहा कि राजस्थान में माडा क्षेत्र को जनजाति उपयोजना क्षेत्र में शामिल करने के लिए वे केन्द्र के स्तर पर प्रभावी प्रयास करेंगे।
उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को अपने अधिकारों के उपयोग के लिए जागरूक होना होगा इसके लिए पर्याप्त प्रशिक्षण एवं उन्हें प्रदत्त अधिकारों की जानकारी दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि वे जनजाति क्षेत्रों का दौरा कर वहां की आवश्यकताओं एवं भावी योजनाएं लागू करने के बारे में जानकारी लेंगे। इस मौके पर जनप्रतिनिधियों ने जनजाति क्षेत्र में विविध योजनाओं एवं केन्द्र से मिलने वाले वित्तीय संसाधनों का समयबद्ध एवं प्रभावी उपयोग कर क्षेत्र की समस्याओं को दूर करते हुए समग्र विकास की दिशा में उपयोगी सुझाव रखे।
सांसद अर्जुनलाल मीणा ने कहा कि जनजाति उपयोजना क्षेत्र के विस्तार के लिए प्रस्ताव केन्द्र सरकार के अधीन विचाराधीन है, उसे शीघ्र लागू किया जाए। उन्होंने जनजाति क्षेत्र के विकास के लिए आंध्र व उड़ीसा पेटर्न पर कार्य कराने की जरूरत बतायी। श्री मीणा ने कहा कि जनजाति परामर्शदात्री समिति का अध्यक्ष मुख्यमंत्री को बनाने की मांग रखी जिससे योजनाओं की प्रभावी मॉनिटरिंग हो सके। उन्होंने उपयोजना क्षेत्र के सामान्य वर्ग को भी जनजाति के समान ही रोजगार व सुविधाओं के समान अवसर देने की बात कही। उन्होंने जनजाति विश्वविद्यालय को संसाधन सम्पन्न एवं गतिशील बनाने की जरूरत बतायी।
उप जिला प्रमुख सुन्दरलाल भाणावत ने उपयोजना क्षेत्र में साधारण तबके को भी उपयोजना क्षेत्र के समान लाभ दिलाने, सलूम्बर विधायक अमृतलाल ने जनजाति ग्रामीण क्षेत्र में विविध विकास की योजनाओं के लिए पर्याप्त धन की मांग रखी। समाजसेवी प्रमोद सामर ने लेम्प्स को ट्रिफ्को में सदस्य बनाकर जनजाति क्षेत्र में लघुवन उपज की पूरी लागत कृषक को दिलाने का सुझाव दिया।
पूर्व मंत्री चुन्नीलाल गरासिया ने जनजाति अधिनियमों में शिथिलता प्रदान करते हुए जनजाति क्षेत्र विकास को प्रभावी बनाने का सुझाव दिया ताकि क्षेत्र का सर्वागीण विकास हो सके। डूंगरपुर के पूर्व जिला प्रमुख भगवतीलाल रोत ने पेसा कानून को जनजाति हित में प्रभावी बनाने पर जोर दिया।
बैठक में जिला प्रमुख शांतिलाल मेघवाल, उदयपुर ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा, पूर्व विधायक रमेश मीणा, जिले के प्रधान, उप प्रधान, सरपंच, जिला परिषद एवं पंचायत समिति सदस्य, जनजाति अतिरिक्त आयुक्त जगमोहन सिंह, टीआरआई निदेशक (सांख्यिकी) बाबूलाल कटारा आदि भी मौजूद थे। आभार टीआरआई निदेशक आर.एन.चाहिल ने ज्ञापित किया।
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