क्या मई 2017 दाऊदी बोहरा समूदाय के इतिहास में क्या एक नया पन्ना जोड़ेगा?


क्या मई 2017 दाऊदी बोहरा समूदाय के इतिहास में क्या एक नया पन्ना जोड़ेगा?

दाऊदी बोहरा समुदाय के 53वें दाई अल-मुतलाक को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई को अब ताहेर फखरूद्दीन आगे बढ़ाएंगे। गौरतलब है कि यह लड़ाई ताहेर फखरूद्दीन के पिता खुजैमा कुतुबुद्दीन ने तीन साल पहले 2014 में शुरू की थी, लेकिन गत दिनों उनका निधन हो गया। अब हाईकोर्ट ने न्याय की इस लड़ाई को आगे बढ़ाने की अनुमति उनके सुपुत्र ताहेर फखरूद्दीन को दे दी है।

 

क्या मई 2017 दाऊदी बोहरा समूदाय के इतिहास में क्या एक नया पन्ना जोड़ेगा?

दाऊदी बोहरा समुदाय के 53वें दाई अल-मुतलाक को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई को अब ताहेर फखरूद्दीन आगे बढ़ाएंगे। गौरतलब है कि यह लड़ाई ताहेर फखरूद्दीन के पिता खुजैमा कुतुबुद्दीन ने तीन साल पहले 2014 में शुरू की थी, लेकिन गत दिनों उनका निधन हो गया।  अब हाईकोर्ट ने न्याय की इस लड़ाई को आगे बढ़ाने की अनुमति उनके सुपुत्र ताहेर फखरूद्दीन को दे दी है।

कानूनी जानकारों का मानना है कि 52वें दाई स्वर्गीय सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन साहिब का वास्तविक उत्तराधिकारी होने की लड़ाई में यह सकारात्मक निर्णय साबित होगा।  बताते चलें कि ताहेर फखरूद्दीन की दाऊदी बोहरा समुदाय के 54वें दाई अल-मुतलाक के रूप में ताजपोशी हो चुकी है।

मुम्बई हाईकोर्ट ने वर्ष 2014 के परिवाद संख्या 337 में सुनवाई की।  खुजैमा कुतुबुद्दीन के निधन के बाद उनकी जगह उनके सुपुत्र को न्यायिक मामले में वादी बनाने की याचिका पर माननीय न्यायाधीश गौतम पटेल की अदालत में सुनवाई हुई।  इसमें विरोधी पक्ष (53वें दाई सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन पक्ष) का कहना था कि चूंकि जिस व्यक्ति ने वाद दायर किया था, उसका ही निधन हो गया है, इसलिए यह मामला स्वतः समाप्त हो जाता है और उनके पुत्र को इसमें वादी नहीं माना जा सकता, लेकिन अदालत ने तमाम तथ्यों के परीक्षण के बाद ताहेर फखरूद्दीन को वादी बनने की अनुमति दे दी।  साथ ही अदालत ने परिवाद में इस संदर्भ में होने वाले दस्तावेजी बदलावों का भी आदेश दे दिया। विपक्षी पक्ष ने इस निर्णय पर स्टे भी मांगा, लेकिन माननीय न्यायाधीश ने स्टे नहीं दिया और मामले की अगली सुनवाई 2 मई, 2017 तय कर दी।

यह है पूरा मामला  दाऊदी बोहरा समुदाय के सबसे बड़े गुरु माने जाने वाले 52वें दाई स्वर्गीय सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन ने 27 वर्ष की आयु में ही ताहेर फखरूद्दीन के पिता खुजैमा कुतुबुद्दीन को दूसरा सबसे बड़ा पद सौंपकर उनको अपना उत्तराधिकारी बनाने का स्पष्ट संकेत दे दिया था। आरोप है कि जब अपने जीवन के अंतिम दिनों में मोहम्मद बुरहानुद्दीन लंबे समय तक बीमार रहे तो उनके पुत्रों ने उनके नाम का गलत उपयोग किया और न सिर्फ कई आदेश उनके नाम से जारी किए बल्कि 53वें दाई के रूप में भी शहजादा मुफद्दल सैफुद्दीन खुद की ताजपोशी करा ली।  इसके खिलाफ खुजैमा कुतुबुद्दीन ने मुम्बई उच्च न्यायालय में परिवाद दायर किया।  सुनवाई चल ही रही थी कि बीतों दिनों खुजैमा का निधन हो गया। अब 53वें दाई सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन पक्ष का तर्क था कि चूंकि वादी का ही निधन हो गया है, इसलिए वाद भी स्वतः समाप्त हो जाता है। लेकिन अदालत ने न्याय की इस लड़ाई में खुजैमा के सुपुत्र ताहेर फखरूद्दीन को वादी बनने की अनुमति दे दी।

Contributed by: Jane D’cruz, Beehive, Mumbai

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