ममत्व एवं मोह के नाश से होगा लेने की कामना का अंत


ममत्व एवं मोह के नाश से होगा लेने की कामना का अंत

आचार्य जिनदर्शन सुरीश्वर महाराज ने कहा कि जीव इस नश्वर संसार में अनेक योनियों में विचरण करता हुआ सदा लेने की भावना रखता है। उसकी लेने की कामना का अंत ममत्व एवं मोह के नाश से ही संभव है।

 
ममत्व एवं मोह के नाश से होगा लेने की कामना का अंत

आचार्य जिनदर्शन सुरीश्वर महाराज ने कहा कि जीव इस नश्वर संसार में अनेक योनियों में विचरण करता हुआ सदा लेने की भावना रखता है। उसकी लेने की कामना का अंत ममत्व एवं मोह के नाश से ही संभव है।

वे आज हिरणमगरी सेक्टर 4 स्थित श्री शांतिनाथ जिनालय आराधना भवन में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ममत्व एवं मोह के नाश के बिना अरिहंत तत्व प्राप्त करने हेतु अग्रसर नहीं हो सकता है। हमारी आत्मा को समयकत्व के सुधापान से सजीव बनाकर गहरी अविरति के गर्त में धंसी हुई हमारी आत्मा को विरति की आर ले जाना होगा

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