सरकारी अस्पताल में जनाना वार्ड के बाहर दर्द से तड़प रही महिला ने बच्चे को जन्म दिया
उदयपुर में संभाग के सबसे बड़े सरकारी एमबी के जनाना अस्पताल के के बाहर शुक्रवार को चीरवा निवासी 29 वर्षीय गर्भवती महिला ने सड़क किनेरे गन्दगी के पास दर्द से तड़पती महिला ने दोपहर 1.28 बजे यहीं बेटे को जन्म दे दिया। इतना ही नहीं डिलिवरी के काफी देर बाद तक उसकी किसी ने सुध नहीं ली। काफी देर तक किसी स्टाफ और न ही डॉक्टर की इस पर नजर पड़ी।
उदयपुर में संभाग के सबसे बड़े सरकारी एमबी के जनाना अस्पताल के के बाहर शुक्रवार को चीरवा निवासी 29 वर्षीय गर्भवती महिला ने सड़क किनेरे गन्दगी के पास दर्द से तड़पती महिला ने दोपहर 1.28 बजे यहीं बेटे को जन्म दे दिया। इतना ही नहीं डिलिवरी के काफी देर बाद तक उसकी किसी ने सुध नहीं ली। काफी देर तक किसी स्टाफ और न ही डॉक्टर की इस पर नजर पड़ी।
डिलिवरी के बाद बच्चे की आवाज सुनकर होमगार्ड जवान वहां पहुंची और स्ट्रेचर पर लेटाकर अस्पताल के अंदर ले गई। जब बच्चे के रोने की आवाज आई तो वहां होमगार्ड जवान पहुंची और स्ट्रेचर पर लेटाकर अस्पताल के अंदर ले जाने लगी। यहां भी गेट पर ताला लगा होने के कारण जच्चा-बच्चा को इंतजार करना पड़ा। इसके बाद आनन-फानन में डॉक्टर आए। डॉ. मधुबाला सिंह चौहान ने बताया कि जच्चा-बच्चा दोनों ही खतरे से बाहर हैं। प्रसव 15 दिन पहले यानी साढ़े आठ महीने के गर्भ के दौरान ही हो गया है।
मोहिनी के पति भंवरलाल ने कहा की “मैं अपनी चाची के साथ मोहिनी को अस्पताल लेकर आया था। हमने उसे सुबह आउटडोर में डॉक्टर को दिखा दिया। डॉक्टर ने दवा लिख दी। हम लौट कर ब्लड बैंक के सामने आ गए। चाची और मोहिनी को यहीं बैठा दिया। मैं दवा लेने चला गया था। पीछे से उसके प्रसव पीड़ा होने लगी। वह दर्द से कराहने लगी। मेरी चाची ने मदद के लिए खूब गुहार लगाई, इस दौरान लोग तो इक्कठा हो गए लेकिन अस्पताल का कोई भी स्टाफ वहां नहीं पहुंचा। इसी दौरान मोहिनी के वहीं डिलिवरी हो गई।”
वहीँ इस मामले में नर्सिंग अधीक्षक पन्नालाल पंवार ने दावे के साथ कहा कि “वे मौके पर ही थे और जनाना अस्पताल के किसी-भी गेट पर कोई ताला नहीं लगा था, क्योंकि जब से अस्पताल में प्लास्टर गिरा है तब से वे सभी गेट खुले रखते आ रहे हैं।”
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