महिला नीतियों को सख्ती से लागू करना होगा – प्रो. सारंगदेवोत


महिला नीतियों को सख्ती से लागू करना होगा – प्रो. सारंगदेवोत

महिला कल भी खतरे में थी आज भी है और कल भी रहेगी। अपराधों की प्रकृति बदलती है तो अपराध करने का तरीका भी। लिंग विभेद के चलते महिला नीतिया भी बनाई गई, बदलाव भी किए गए। आज भी इसके सफल क्रियान्वयन को लेकर संशय की स्थितियां है।

 

महिला नीतियों को सख्ती से लागू करना होगा – प्रो. सारंगदेवोत

महिला कल भी खतरे में थी आज भी है और कल भी रहेगी। अपराधों की प्रकृति बदलती है तो अपराध करने का तरीका भी। लिंग विभेद के चलते महिला नीतिया भी बनाई गई, बदलाव भी किए गए। आज भी इसके सफल क्रियान्वयन को लेकर संशय की स्थितियां है।

यह कथन जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक उदयपुर स्कुल ऑफ सोशल वर्क एवं श्योर संस्थान बाड़मेर के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को ‘‘जैंडर आधारित हिंसा पर शहरी युवाओं को संवेदनशील बनाने हेतु’’ विषयक पर आयोजित सेमीनार में कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने मुख्य अतिथि के पद से अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि जब तक व्यक्ति की मानसिकता में बदलाव नहीं होगा तब महिला उत्पीड़न के कानुन बनाने से कुछ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि वर्षो से हम कहते आ रहे है कि नारी शक्ति का रूप है, नारी देवी है, नारी की पूजा की जानी चाहिए जबकि वास्तविकता में यह कौसो दूर है।

सेमीनार की अध्यक्षता करते हुए सुखाडि़या विश्वविद्यालय के कला संकाय के पूर्व अधिष्ठाता प्रो. अरूण चतुर्वेदी ने कहा कि महिलाओं के लिए कानूनी बनाना सरल है जब उसका सही रूप में पालन नहीं होगा ऐसे कानून बनाना निरर्थक है।

विशिष्ठ अतिथि प्रो. एस.के. मिश्रा ने कहा कि उच्च शिक्षा एवं शिक्षा आदि में लिंग विभेद को लेकर कई बदलाव की आवश्यकता है। इससे महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा के साथ साथ उनकी आत्म निर्भरता एवं स्वाभिमान में भी बढ़ोतरी होगी। सेमीनार के समापन सत्र के मुख्य अतिथि पीजीडीन प्रो. प्रदीप पंजाबी एवं प्रो. सुमन पामेचा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

प्रारंभ में सेमीनार के समन्वयक सत्यदेव बारहठ ने अतिथियों का स्वागत कर सेमीनार की विस्तृत जानकारी दी। सेमीनार का संचालन डॉ. वीना द्विवेदी ने किया धन्वाद सत्यदेव बारहठ ने दिया।

इनका हुआ सम्मान

सेमीनार में विभिन्न प्रतियोंगिताओं में प्रथम, द्वितिय व तृतीय रहे छात्र छात्राओं को प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। जिसमें कृष्णाकुंवर राठौड़, ममता शक्तावत, रोहित जैन, विनोद मेनारिया, वसीन खंा एवं त्रजन खां प्रथम रहे।

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