महिला नीतियों को सख्ती से करना होगा लागू : प्रो. चौहान


महिला नीतियों को सख्ती से करना होगा लागू : प्रो. चौहान

महिलाएं कल भी खतरे में थी, आज भी हैं और कल भी रहेगी। अपराधों की प्रकृति बदली हैं तो अपराध करने का तरीका भी। लिंग विभेद के चलते महिला नीतियां भी बनाई गई। बदलाव भी किए गए। आज भी इसके सफल क्रियान्वयन को लेकर संशय की स्थितियं हैं, कारण दिल्ली दुष्कर्म और राजसमंद में हुए कांड है।

 

महिला नीतियों को सख्ती से करना होगा लागू : प्रो. चौहान

महिलाएं कल भी खतरे में थी, आज भी हैं और कल भी रहेगी। अपराधों की प्रकृति बदली हैं तो अपराध करने का तरीका भी। लिंग विभेद के चलते महिला नीतियां भी बनाई गई। बदलाव भी किए गए। आज भी इसके सफल क्रियान्वयन को लेकर संशय की स्थितियं हैं, कारण दिल्ली दुष्कर्म और राजसमंद में हुए कांड है।

इसके लिए कुछ विकल्प भी है। नीतियों को सख्ती से लागू करें या महिला ही महिला की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाए। यह विचार सुविवि की पूर्व प्रोफेसर प्रो. विजयलक्ष्मी चौहान ने राजस्थान विद्यापीठ के जनपद मीडिया सेंटर पर व्यक्त किए। वर्तमान समय में शिक्षा क्षेत्र में महिला सुरक्षा विषयक इस संगोष्ठी में स्वयं सेवी संगठन, कॉलेज छात्राएं और विद्यापीठ की कार्यकर्ताएं उपस्थित थी। संगोष्ठी की अध्यक्षता चांसलर सचिवालय के सचिव डॉ. लक्ष्मीनारायण नंदवाना थे।

लिंग विभेद में हो बदलाव: प्रो.चौहान ने कहा कि उच्च शिक्षा एवं शिक्षा आदि में लिंग विभेद को लेकर कई बदलाव की आवश्यकता है। जिससे महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा के साथ साथ उनकी आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान में भी बढ़ोत्तरी होगी। महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचार को लेकर विशेष कानून तो बनाए जाए, साथ ही मामले में स्पष्टता और शीघ्रता के लिए अन्य कई व्यवस्थाएं भी होनी चाहिए।

परिवार में बदलाव भी कारण: डॉ. नंदवाना ने कहा कि समाज स्त्री पुरुषों में समाज स्त्री पुरुषों में किए जा रहे भेद भाव को नारी असुरक्षा का करण बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय संयुक्त परिवार महिला सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कहा कि वर्तमान में एकल परिवार हो रहे हैं, जिसके चलते महिलाओं की सुरक्षा में भी कमी हुई है।

संगोष्ठी का संयोजन करते हुए जनशिक्षण एवं विस्तार कार्यकम निदेशालय के निदेशक डॉ. ललित पांडे ने कहा कि उच्च शिक्षा में प्रयास किए जाने आवश्यक है। इसके लिए नैतिक व संस्कारवान शिक्षा दी जानी चाहिए। इस अवसर पर डाू. मंजू मांडोत, डॉ. वीणा द्विवेदी, सीता गुर्जर, अरुण पानेरी, डॉ. वीपी शर्मा, चितरंजन नागदा, डॉ. लाला राम जाट एवं डॉ. संजीव पुरोहित आदि उपस्थित थे।

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