'लकड़ी की काठी' प्रदर्शनी का आगाज़
माणक चौक, सिटी पेलेस में दो दिवसीय प्रदर्शनी की शुरुआत आज सुबह 10 बजे हुई, इस प्रदर्शनी में उदयपुर के कलाकार शाहिद परवेज द्वारा 500 लकड़ी के घोड़े (काठी) व 1 विशालका्य लोहे के घोड़े को प्रदर्शित किया। यह प्रदर्शनी कल शाम 5 बजे तक चलेगी, इसका उद्देश्य उदयपुर की काष्ठकला और उसमे लुप्त होते […]
माणक चौक, सिटी पेलेस में दो दिवसीय प्रदर्शनी की शुरुआत आज सुबह 10 बजे हुई, इस प्रदर्शनी में उदयपुर के कलाकार शाहिद परवेज द्वारा 500 लकड़ी के घोड़े (काठी) व 1 विशालका्य लोहे के घोड़े को प्रदर्शित किया।
यह प्रदर्शनी कल शाम 5 बजे तक चलेगी, इसका उद्देश्य उदयपुर की काष्ठकला और उसमे लुप्त होते बचपन को पुनर्जिवित करने का है। आज कि व्यस्ततम जीवन शैली से निकलकर बचपन और बचपने के संरक्षण के प्रयास में परवेज की परिकल्पनाओ एवं निर्देशण और धरोहर के साझे में यह कदम उठाए गए हैं।
प्रदर्शित घोड़ों में लोहे का घोडा है जिसका वजन 1100 किलो, लम्बाई 17.5 फुट, उचाई 16.5 फुट व चोड़ाई 7 फुट है, परवेज ने बताया की प्रदर्शनी के बाद यह विशालकाय काठी को सार्वजनिक स्थल पर लगा दिया जाएगा, यह काठी उदयपुर में बनाई गई है, जिसपे कला और रंग शाहिद ने स्वय किया है।
परवेज कहते हे की “अतीत में उदयपुर अपने लकड़ी के खिलौने के लिए जाना जाता था, पर आज वो खिलोने दुकान में पड़ा टुकड़ा बन कर रह गया है और कम्प्यूटर व मोबाईल के इस जमाने में यह कष्ठ्कारी की कला अतीत बनकर रह जाएगी “।अतिरिक्त मिली जानकारी अनुसार निर्मित 500 कठिया उदयपुर के काष्ठ्कारो द्वारा बनाई गई है जिस पर स्कूली 2 से 4 कक्षा के बच्चों ने अपने नन्हे हाथो से अपने बचपन की छाप रंगो के माघ्यम से छोड़ी है, प्रदर्शनी के बाद इन काठियो को बच्चो को सुपुर्द कर दी जाएगी।
शाहीद परवेज ऍम.एल.एस.यु के कला महाविधालय के द्रश्य कला विभाग के सहायक प्रोफेसर के साथ-साथ एक चित्रकार भी है, ‘बच्चो को पसंद’ करहे वाले शाहीद बचपन से ही चित्रकला में रूचि रखते हुए 1993 में कला में अपनी स्नातक पूरी की थी।
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