एप्लीकेशन ऑफ सॉफ्टवेयर इन होम्योपेथिक प्रैक्टिस पर कार्यशाला


एप्लीकेशन ऑफ सॉफ्टवेयर इन होम्योपेथिक प्रैक्टिस पर कार्यशाला

कैंसर, एड्स आदि गंभीर बीमारियों को काबू करना होम्योपैथी में भी संभव हो गया है। इसमें समय रहते गंभीर रोगों को जड़ से समाप्त करने जैसे परिणाम भी सामने आए हैं। जरुरत है, तो सिर्फ इसके मॉनिटरिंग की। हर उपचार के बाद होने वाले परिवर्तन को आधार बनाते हुए नई प्रक्रिया अपनाई जाती है।

 
एप्लीकेशन ऑफ सॉफ्टवेयर इन होम्योपेथिक प्रैक्टिस पर कार्यशाला

कैंसर, एड्स आदि गंभीर बीमारियों को काबू करना होम्योपैथी में भी संभव हो गया है। इसमें समय रहते गंभीर रोगों को जड़ से समाप्त करने जैसे परिणाम भी सामने आए हैं। जरुरत है, तो सिर्फ इसके मॉनिटरिंग की। हर उपचार के बाद होने वाले परिवर्तन को आधार बनाते हुए नई प्रक्रिया अपनाई जाती है।

यह कहना है मुंबई के डॉ. जवाहर शाह का; डॉ. शाह ने यह जानकारी बतौर मुख्य वक्ता एप्लीकेशन इन सॉफ्टवेयर इन होम्योपैथीक प्रैक्टिस कार्यशाला में दी। इसका आयोजन राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक होम्योपैथी कॉलेज द्वारा किया गया था।

डॉ. शाह ने बताया कि वर्तमान में चिकित्सा की जितनी पद्धतियां प्रचलित है, उनमें उपचार की अलग अलग विधाएं हैं। जिसके अलग अलग विशेषज्ञ भी हैं। किसी विधा में उपचार का तीव्र गति का माध्यम होता है तो कहीं धीमी गति का। उपचार सभी विधाओं में होता है। होम्योपेथी में काफी खोज के बाद अब उपचार की ऐसी विधाएं तैयार की गई है, जिनके माध्यम से तीव्र गति से गंभीर बीमारियों का उपचार संभव हो पाया है।

एप्लीकेशन ऑफ सॉफ्टवेयर इन होम्योपेथिक प्रैक्टिस पर कार्यशाला

कार्यशाला में होम्योपेथी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अमिया गोस्वामी ने बताया कि इस अवसर पर आरएनटी के पूर्व प्राचार्य डॉ. एसके कौशिक, कार्यवाहक प्राचार्य डॉ. चंद्रा माथुर, डॉ. रवि भारद्वाज एवं डॉ. हारुन रशीद को उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया। इससे पूर्व मुख्य अतिथि कुलपधिपति प्रो. भवानी शंकर गर्ग ने होम्योपेथीक चिकित्सा पद्धति से जुड़े कई पहलुओं पर प्रकाश डाला।

वहीं अध्यक्षता करते कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने बताया कि अन्य चिकित्सा पद्धतियों की तर्ज पर होम्योपैथी ने भी कई नई विधाएं संचालित की है। इधर, लोगों में भी होम्योपेथी पद्धति से उपचार करवाने में रुचि दिखाई। इसके कई परिणाम भी सामने आए हैं।

स्वागत उदबोधन डॉ नवीन विश्नोई ने दिया। संचालन डॉ. बबीता रशिद ने किया व धन्यवाद डॉ. लिलि जैन ने ज्ञापित किया।

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