आगामी पाँच वर्षों के एजेण्डा पर कार्यशाला सम्पन्न
लोकतान्त्रिक विकेन्द्रीकरण के लिए सत्ता को तृणमूल स्तर तक साझा करने की आवश्यकता है। नौकरशाह और बड़े राजनेता अपना वर्चस्व छोड़ना नहीं चाहते इसीलिए पंचायती राज को पूरे अधिकार नहीं दिए जा रहे हैं।
लोकतान्त्रिक विकेन्द्रीकरण के लिए सत्ता को तृणमूल स्तर तक साझा करने की आवश्यकता है। नौकरशाह और बड़े राजनेता अपना वर्चस्व छोड़ना नहीं चाहते इसीलिए पंचायती राज को पूरे अधिकार नहीं दिए जा रहे हैं।
ये विचार शनिवार (28 मार्च 2015) को विद्या भवन स्थानीय स्वशासन एवं उत्तरदायी नागरिकता संस्थान की ओर से ‘पंचायती राज सशक्तिकरणः आगामी पाँच वर्षों का एजेण्डा’ विषयक कार्यशाला में उभरकर आए। सम्भागियों ने कहा कि 73वें संविधान संशोधन के अनुसार 11वीं अनुसूची में प्रदत्त सभी 29 विषय और उनसे जुड़े 16 विभाग पंचायती राज को दिए जाने थे, जो अब तक नहीं दिए गए।
यहाँ विद्या भवन गो.से. शिक्षक महाविद्यालय में कार्यशाला के दूसरे दिन ‘पंचायती राज को कार्यों व अधिकारों का हस्तान्तरण’ विषयक सत्र के मुख्य वक्ता आस्था के अश्विनी पालीवाल ने कहा कि यद्यपि 2010 में 5 विभागों को पंचायती राज को दिया गया किन्तु अधिकार नहीं दिए गए। फिलहाल केवल प्रारम्भिक शिक्षा विभाग में ही पंचायती राज का कुछ हस्तक्षेप हो पाया है। इस बारे में जनप्रतिनिधियों में भी जागरूकता का अभाव है।
‘लोकतान्त्रिक संस्थाओं के माध्यम से महिला सशक्तिकरण’ विषयक सत्र की मुख्य वक्ता मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय की प्रो. ज़ैनब बानू ने कहा कि महिलाओं को राजनैतिक प्रतिनिधित्व में भारत का स्थान 103वाँ है। पंचायती राज में 50 प्रतिशत आरक्षण से महिलाओं की उपस्थिति और आवाज़ को कुछ सम्बल मिला है।
किन्तु संसद में करीब 12 प्रतिशत और राजस्थान विधानसभा में करीब 13 प्रतिशत ही महिला सदस्य हैं। रूढि़वादी समाज एवं राजनैतिक दल महिलाओं को जगह नहीं देना चाहते हैं। पूर्व महिला जनप्रतिनिधियों को अपना संगठन बनाना चाहिए।
तीन समूहों में चर्चायें हुईं। वित्तीय विकेन्द्रीकरण पर बड़गाँव पंचायत समिति सदस्य सीमा खटीक, शक्तियों व कार्यों के हस्तान्तरण पर पूर्व उपसरपंच नाथूलाल जोशी तथा जनभागीदारी एवं महिला सशक्तिकरण पर गिर्वा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष पूनमचन्द्र गमेती ने समूहवार सुझाव प्रस्तुत किए। सत्र की अध्यक्षता करते हुए बड़गाँव पंचायत समिति सदस्य सरिता पालीवाल ने अपने मोहल्ले से परिवर्तन के एक कार्य की शुरूआत का आग्रह किया तथा स्वयं शिक्षा के प्रसार का प्रण लिया।
समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद् प्रो. अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि नए दौर में पंचायती राज का एजेण्डा भी बदलना चाहिए; इसमें तकनीक का इस्तेमाल, प्रशासनिक एवं वित्तीय नियन्त्रण का व्यावहारिक ज्ञान शामिल किया जाना चाहिए। महिलाओं को पद मिले हैं, यदि उन्हें मदद की ज़रूरत हो तो सहज मिलनी चाहिए। प्रारम्भ में अनुप्रीता पुरोहित ने गत दिवस की कार्यवाही की रिपोर्ट पेश की। आभार प्रो. वेद्दान सुधीर ने व्यक्त किया।
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