आगामी पाँच वर्षों के एजेण्डा पर कार्यशाला शुरू
जनता को अपने प्रतिनिधियों से बहुत अपेक्षायें हैं। जनप्रतिनिधि सच को कहने में न हिचकिचायें और अपने अधिकारों का प्रयोग करें।
जनता को अपने प्रतिनिधियों से बहुत अपेक्षायें हैं। जनप्रतिनिधि सच को कहने में न हिचकिचायें और अपने अधिकारों का प्रयोग करें।
ये विचार शुक्रवार (27 मार्च 2015) को विद्या भवन स्थानीय स्वशासन एवं उत्तरदायी नागरिकता संस्थान की ओर से ‘पंचायती राज सशक्तिकरणः आगामी पाँच वर्षों का एजेण्डा’ विषयक दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में जि़ला प्रमुख शान्तिलाल मेघवाल ने व्यक्त किए।
श्री मेघवाल ने वार्ड पंच से जि़ला प्रमुख के सफर का उल्लेख किया और ग्राम पंचायतों में आधारभूत सुविधायें मुहैया कराने पर बल दिया। अध्यक्षता करते हुए विद्या भवन सोसायटी के अध्यक्ष रियाज़ तहसीन ने कहा कि सच्चाई पर चलने में कठिनाई है किन्तु अन्ततोगत्वा जीत सत्य की होती है। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए नए पंच-सरपंचों को गाँव के स्तर पर काम करना होगा।
दूसरे सत्र में सह-निदेशक हेमराज भाटी ने पंचायती राज संस्थाओं के समक्ष चुनौतियों के तहत ग्राम सभा की सूचना का प्रसार, मतदाताओं व जनप्रतिनिधियों में सकारात्मकता, महिलाओं की सक्रिय भागीदारी, हर पंचायत पर एक सचिव की नियुक्ति, पंचायती राज को हस्ताँतरित विभागों को पूरे अधिकार आदि मुद्दों पर चर्चा की।
तीसरे सत्र में राज्यपाल की पूर्व सलाहकार डॉ. अल्पना जैन ने पंचायती राज व्यवस्था में वित्तीय विकेन्द्रीकरण तथा चौथे सत्र में प्रो. वेद्दान सुधीर ने तृणमूल स्तर पर जनभागीदारी विषय पर विचार रखे। सभी सत्रों में खुली चर्चायें हुईं, जिनमें पूर्व व वर्तमान जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों व स्वैच्छिक संस्थाओं के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
प्रारम्भ में, निदेशक डॉ. प्रभाकर रेड्डी ने कार्यशाला के उद्देश्य तथा संस्थान के कार्यों पर शोध अध्ययन के निष्कर्ष प्रस्तुत किये। अकादमिक सलाहकार के.सी. मालू ने संस्थान का परिचय दिया। संचालन डॉ. स्मिता श्रीमाली ने किया।
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