विश्व पृथ्वी दिवस : प्लास्टिक पॉलीथिन बढ़ा रहे बंजरता, नपुसंकता व बांझपन


विश्व पृथ्वी दिवस : प्लास्टिक पॉलीथिन बढ़ा रहे बंजरता, नपुसंकता व बांझपन

प्लास्टिक व पॉलीथिन से झीलें, नदियां व धरती की उपजाऊ परत विषाक्त हो रहे हैं। परिणामतः इंसान व धरती बांझ-बंजर हो जाएंगे। यह चिंता रविवार को विश्व धरती दिवस पर आयोजित संवाद श्रमदान कार्यक्रम में व्यक्त की गई। डॉ अनिल मेहता ने कहा कि प्लास्टिक व पॉलीथिन में बिस्फिनॉल ए सहित कई विषैले रसायन है जो इंसानों के हार्मोनल तंत्र पर दुष्प्रभाव डालते हैं एवं प्रजनन क्षमता को कम करते है। उदयपुर ने यदि प्लास्टिक प्रदूषण नियंत्रित नही किया तो यंहा नपुसंकता, बांझपन, बंजरता बढ़ेंगे।

 
विश्व पृथ्वी दिवस : प्लास्टिक पॉलीथिन बढ़ा रहे बंजरता, नपुसंकता व बांझपन

प्लास्टिक व पॉलीथिन से झीलें, नदियां व धरती की उपजाऊ परत विषाक्त हो रहे हैं। परिणामतः इंसान व धरती बांझ-बंजर हो जाएंगे। यह चिंता रविवार को विश्व धरती दिवस पर आयोजित संवाद श्रमदान कार्यक्रम में व्यक्त की गई। डॉ अनिल मेहता ने कहा कि प्लास्टिक व पॉलीथिन में बिस्फिनॉल ए सहित कई विषैले रसायन है जो इंसानों के हार्मोनल तंत्र पर दुष्प्रभाव डालते हैं एवं प्रजनन क्षमता को कम करते है। उदयपुर ने यदि प्लास्टिक प्रदूषण नियंत्रित नही किया तो यंहा नपुसंकता, बांझपन, बंजरता बढ़ेंगे।

झील प्राधिकरण कमिटी के सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि इस धरती पर मनुष्य का अस्तित्व तभी तक है जब तक कि वनस्पति, वन्य जीव, पशु-पक्षी, पहाड़, नदियां, झीलें है। पालीवाल ने कहा कि झीलों में प्लास्टिक आस पास के मकानों, होटलों से आता है जिसे जनजागृति कर रोकना होगा।

कृष्ण कांत जोशी व रमेश चंद्र राजपूत ने कहा कि प्लास्टिक उपयोग चरणबद्ध तरीके से न्यूनतम करना होगा। द्रुपद सिंह, मोहन सिंह चौहान, दुर्गा शंकर पुरोहित ने कहा कि झील की पुलियाओं से लोग पूजन सामग्री डालते हैं। प्रशासन ऐसे चिन्हित स्थानों पर कुछ पॉट (कलश) रखवा दे ताकि लोग पूजन सामग्री उसमे डालें।

युवा सामाजिक कार्यकर्ता अनूप सिंह पूनिया, चिराग पुरोहित ने कहा कि आम जन की आदतों में बदलाव के लिए युवा वर्ग को पहल करनी होगी। युवाओं को झील स्वच्छता की निगरानी में जुटना होगा । सुमित विजय, मधुसूदन कुमावत, प्रदीप प्रताप सिंह ने कहा कि पानी की खाली बोतलों, थैलियों से नालियां चोक हो जाती है । प्लास्टिक कचरा जलाने से हवा जहरीली हो रही है।

एफ्रो के पूर्व अधिकारी पल्लब दत्ता व साहित्यकार विजय मारू ने कहा कि प्लास्टिक की सुगम उपलब्धता बढ़ते प्लास्टिक कचरे का कारण है। झील क्षेत्र को नो प्लास्टिक जोन घोषित किया जाना चाहिए। परिवार में कपड़े की थैली को साथ रखने की आदत डालनी होगी।

गांधी मानव कल्याण समिति के निदेशक नंदकिशोर शर्मा ने कहा कि प्लास्टिक पॉलीथिन कचरे की बढ़ती मात्रा उदयपुर में तापक्रम बढ़ोतरी भी कर रही है। साथ ही पहाड़ों -पेड़ों के कटने से हवा में धूल कण बढ़कर उदयपुर को नुकसान पंहुचा रहे हैं। इस अवसर पर विनोद, बंटी, बसंत स्वर्णकार ने भी विचार व्यक्त किये व श्रमदान में सहभागिता की।

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