दुनिया किसी के प्यार में जन्नत से कम नहीं


दुनिया किसी के प्यार में जन्नत से कम नहीं

साहित्य कला संगम सोसायटी द्वारा निकटवर्ती एक गांव के राजकीय विद्यालय के अत्यन्त निर्धन बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिये शनिवार को नगर निगम के सुखाडि़या रंगमंच पर आयोजित शाम-ए-गज़ल व सूफी गायन कार्यक्रम में जहाँ एक ओर मुंबई के ख्यातनाम गज़ल गायक पेशे से चार्टर्ड अकाउन्टेन्ट राजेश शर्मा की गज़लो के सुरूर में श्रोता बह गये वहीं दूसरी ओर दूसरे सत्र में सफी गायक राकेश माथुर के सूफियाना कलाम

 
दुनिया किसी के प्यार में जन्नत से कम नहीं

साहित्य कला संगम सोसायटी द्वारा निकटवर्ती एक गांव के राजकीय विद्यालय के अत्यन्त निर्धन बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिये शनिवार को नगर निगम के सुखाडि़या रंगमंच पर आयोजित शाम-ए-गज़ल व सूफी गायन कार्यक्रम में जहाँ एक ओर मुंबई के ख्यातनाम गज़ल गायक पेशे से चार्टर्ड अकाउन्टेन्ट राजेश शर्मा की गज़लो के सुरूर में श्रोता बह गये वहीं दूसरी ओर दूसरे सत्र में सफी गायक राकेश माथुर के सूफियाना कलाम में खो गये।

गज़ल गायक राजेश शर्मा ने अपने कार्यक्रम की शुरूआत गज़ल सम्राट जगजीतसिंह के दोहे मेरा रोया परदेस में भीगा मां का प्यार से की… तो श्रोताओं नें पहली ही प्रस्तुति पर जगरदस्त तालियों की दाद दे कर उनका स्वागत किया। शर्मा ने मेहदी हसन की रफता-रफता वो मेरी हस्ती का सामां हो गया..,दुनिया के किसी प्यार में जन्नत से कम नहीं….,मुझे तुम नज़र स गिरा तो रहे हो…, जगजीतसिंह की गज़ल कल चौहदवीं की रात थी….,,जगजीतसिंह की ख्यातिप्राप्त गज़ल ये दौलत भी ले लो,ये शोहरत भी ले लो,भले छिन लो मेरी जवानी….को जब अपनी आवाज दी तो श्रोताओं ने उनका तालियों से भवभीना स्वागत किया।

दुनिया किसी के प्यार में जन्नत से कम नहीं

शर्मा ने गज़ल गायक गुलाम अली की गज़ल हम तेरे शहर में आयें है मुसाफिर की तरह….,पंकज उधास की प्रसिद्ध गज़लों चांदी जैसा रंग है तेरा, सोने जैसे बाल….., ला पिला दे साकिया...को अपनी आवाज मे जिस तरह से पेश किया वह वाकई तारीफे काबिल था।

समारोह के दूसरे सत्र में सूफी गायक राकेश माथुर ने जब अपने दौर की शुरूआत बुल्ले शां के कलाम जाना जोगी दे नाल से की तो श्रोता तालियां बजाने से अपने आप को नहीं रोक पायें। तत्पश्चात नुसरत फतह अली खान का कलाम सांसो की मालायें…अमीर खुसरो के कलाम छाप तिलक सब छोड़…,बुल्ले शां का कलाम ते माने या ना मानें दिलदारा…..,के बाद माथुर ने जनता की मांग पर दो आशिकाना कव्वाली हलका-हलका सुरूर… तथा मेरे रशके कमर…..को अपनी आवाज दी तो श्रोता उसी में खो गये।

दोनों गायकों का तबला पर ओम कुमावत, हारमोनियम पर नारायण गन्धर्व, वायलिन पर किशन गन्धर्व, संतूर पर भूपेन्द्र गंधर्व,ओक्टोपेड पर विजय गन्धर्व ने संगत की।

दुनिया किसी के प्यार में जन्नत से कम नहीं

ये साहित्यकार हुए सम्मानित-सोसायटी के अध्यक्ष सुनील त्रिवेदी ने बताया कि इस अवसर पर समारोह में साहित्य एवं कला जगत से जुड़ी हस्तियों राजस्थान कृषि वि.वि. एवं मोसुविवि के पूर्व कुलपति को डॉ. के.एन.नाग, केन्द्रीय कृषि मूल्य आयोग के पूर्व अध्यक्ष एवं कृषि अर्थशास्त्री डॉ. एस.एस.आचार्य, वरिष्ठ संगीतज्ञ प्रो. अमृत कविटकर, साहित्यकार डॉ.श्याम मनोहर व्यास, वरिष्ठ शास्त्रीय एवं गज़ल गायक उस्मान मोहम्मद फैय्याज खान,वरिष्ठ कला समीक्षक एंव आचार्य प्रो. आर.के. वशिष्ठ, वरिष्ठ रंगकर्मी सुनील मित्तल, विलास जानवे,युवा संगीतज्ञ डॉ. देवेन्द्र हिरन, एवं डॉ. सुरभि आर्य को साहित्य कला संगम सम्मान-2017 से सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप उपरना ओढ़ाकार एवं स्मृतिचिन्ह प्रदान किया गया।

समारोह के मुख्य अतिथि डॉ.जेके.तायलिया, तथा विशिष्ठ अतिथि महापौर चन्द्रसिंह कोठारी, डॉ. विनय जोशी, एसीबी के सेवानिवृत्त आईजी निसार अहमद, जे.के.हॉस्पिटल के गुरूविन्दरसिंह, वरिष्ठ गज़ल गायक डॉ. प्रेम भण्डारी, मींरा गर्ल्स कॉलेज की वरिष्ठ संगीतज्ञ डॉ. सीमा राठौड़,नवनीत मोटर्स के ललित नारायण माथुर,मींरा गर्ल्स कॉलेज की सहायक प्रोफेसर डॉ. अंजना गौतम,राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति कर्नल एस.एस.सांरगदेवोत तथा विशिष्ठ आंमत्रित अतिथियों में यूबी श्रीवास्तव, एवं जगजीतसिंह निशात थे। कार्यक्रम की परिकल्पना एवं संयोजिका भारती शर्मा की थी तथा मंच संचालन डॉ. लोकेश जैन ने किया।

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