विश्व का 53वां लिंगुअल थायरोईड कैंसर मामला गीतांजली में सफल


विश्व का 53वां लिंगुअल थायरोईड कैंसर मामला गीतांजली में सफल

गीतांजली हॉस्पिटल में अति जटिल लिंगुअल थायरोईड कैंसर मामला सामने आया जो पूरे विश्व इतिहास में अब तक केवल 52 मामले ही दर्ज हुए है और अब 53वां मामला गीतांजली में सफल हुआ

 

गीतांजली हॉस्पिटल में अति जटिल लिंगुअल थायरोईड कैंसर  मामला सामने आया जो पूरे विश्व इतिहास में अब तक केवल 52 मामले ही दर्ज हुए है और अब 53वां मामला गीतांजली में सफल हुआ एवं अब गीतांजली में इस तरह के कैंसर रोगों का उपचार संभव हो पाएगा। इस मामले को गीतांजली के कैंसर सर्जन डॉ सुभभ्रत दास व उनके साथ डॉ देवेन्द्र जैन व डॉ सचेन्द्र ने मिलकर सफल बनाया।

कैंसर सर्जन डॉ एस. दास ने बताया कि उदयपुर निवासी 40 वर्षीय रोगी बिंदु(परिवर्तित नाम) 5 वर्षों से लिंगुअल थायरोईड कैंसर से परेशान थी। इन्हें सांस लेने व निगलने में तकलीफ होती थी व ज़ुबान के पिछले हिस्से में 4×5 सेमी व गले में दोनों तरफ 10 सेमी की कैंसर की गांठ भी थी तथा इस अवस्था में होने के बावजूद भी इन्होंने कहीं ओर उपचार नहीं करवाया क्योंकि अहमदाबाद व मुंबई के चिकित्सकों ने इन्हें इस कैंसर की हाई रिस्क सर्जरी के बारे में बताया था जिसके कारण इन्होंने जीने की सारी आशाएं छोड़ दी थी तब उन्होंने गीतांजली में संपर्क किया।

इस बीमारी के चलते डॉ दास ने मेन्डिबूलर स्वींग अप्रोच (जबड़े को खोलकर गांठ निकालना) द्वारा 5 घंटे के ऑपरेशन में जु़बान की थायरोईड ग्रंथि के कैंसर की सर्जरी की व अब रोगी स्वस्थ है। उन्होंने बताया कि रोगी को अब रेडियोआयोडिन के लिए कहा गया है व अब रोगी की बोली भी सामान्य हो गई है व उसे निगलने में भी कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने बताया कि रोगी ने जहां ठीक होकर जीने की चाह ही छोड़ दी थी; वहीं अब वे लंबी व सुरंक्षित जीवन व्यतीत करने की इच्छा रखती है।

क्या है लिंगुअल थायरोईड कैंसर? यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें थायरोईड ग्रंथि गले की बजाय ज़ुबान पर होती है। ऐसे मामलों में ज़ुबान पर कैंसर होना एक असामान्य कैंसर का प्रकार है जो कि बेहद जटिल तरिके से ठीक होता है।

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