दुनिया में सबसे छोटे बच्चे की गांठ की सर्जरी
डॉ मिश्रा ने यह भी बताया कि अब तक की सूचना के अनुसार जन्म के बाद इस ट्यूमर का ऑपरेशन कराने वाला यह सबसे कम वजन का नवजात है। भ्रूण की
उदयपुर में गीतांजली के पीडियाट्रिक सर्जन ने किया ऑपरेशन
समय से पूर्व जन्म – मात्र 1.4 किलो वजन – रीढ़ की हड्डी से जुड़ी और लगभग उतनी ही बड़ी गांठ जिसे सेक्रोकोक्सीजियल टेराटोमा कहते है, को गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के पीडियाट्रिक सर्जन डॉ अतुल मिश्रा, एनेस्थेटिस्ट डॉ अल्का, ओटी स्टाफ व उनकी टीम ने सफलतापूर्वक निकाला।
महज 1.4 किलो वजन के नवजात की यह सफल सर्जरी पूरी दुनिया में चिकित्सा इतिहास का प्रथम मामला है। अब तक के मेडिकल इतिहास में सेक्रोकोक्सीजियल टेराटोमा की सफल सर्जरी के संदर्भ में नवंबर 1995 में प्रकाशित जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक सर्जरी में 1.5 किलो वजन के नवजात की सर्जरी की गई थी।
डॉ अतुल मिश्रा ने बताया कि कल्पना (परिवर्तित नाम) की गर्भावस्था का इलाज जिले के ही निजी हॉस्पिटल में चल रहा था। इसी दौरान सातवें महीने में रक्तचाप को नियंत्रित न कर पाने की स्थिति में रोगी को गीतांजली हॉस्पिटल के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ अरुण गुप्ता के पास रेफर किया गया। डॉ गुप्ता द्वारा की गई सोनोग्राफी की जांच में बच्चेदानी में पानी की कमी एवं नवजात का कमजोर होना पाया गया। ऐसी स्थिति बच्चे एवं माँ दोनों के लिए बेहद खतरनाक होती है। इस कारण समय से पहले ही सिजेरियन द्वारा डिलीवरी करने का निर्णय लिया गया।
सवा महीने पहले पैदा हुए बच्चे की रीढ़ की हड्डी के पास बड़ी सी गांठ थी। जन्म के वक्त नवजात का वजन महज 1.4 किलो था जिस कारण गांठ को निकालना बेहद जोखिम भरा था। ऑपरेशन से पूर्व सभी महत्वपूर्ण जांचें एवं ईको-कार्डियोग्राफी की जांच की गई जिससे शरीर के किसी भी अंग की विकृति का पता लगाया जा सके। ऑपरेशन को बिना अंगों को नुकसान पहुँचाए (नसें, मल द्वार, जननांग) और न के बराबर रक्तस्त्राव से अंजाम दिया गया जिसमें 2 घंटें का समय लगा। इस गांठ को जल्द से जल्द बाहर निकालना भी जरुरी था क्योंकि ऐसी गांठ जल्द ही कैंसर का रुप ले लेती है। नवजात अब पूर्णतः स्वस्थ है।
डॉ मिश्रा ने यह भी बताया कि अब तक की सूचना के अनुसार जन्म के बाद इस ट्यूमर का ऑपरेशन कराने वाला यह सबसे कम वजन का नवजात है। भ्रूण की सर्जरी (जन्म से पहले शल्य चिकित्सा) भी दुनिया में बहुत ही कम चयनित केंद्रों पर छोटे बच्चों में किया जा रहा है, लेकिन जन्म के बाद ऑपरेट होने वाला यह सबसे कम वजनी बच्चा है। यह बिमारी लगभग 35000-40000 बच्चों में से किसी एक को होती है और साथ ही नवजात शिशु में यह सामान्यतः जन्मजात ट्यूमर होता है।
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